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हुरंगाः दाऊजी के साथ भक्त बने हुरियारे, हुरियारिनों के वार सहे

ब्रज के राजा दाऊजी प्रभु हुरियारे बने तो उनके भक्त भी उसी रंग में रंग गए। हुरियारिनों ने हुरियारों पर कपड़ा फाड़कर बनाए गए रंग में सराबोर पोतनों का वार कर उनका बदन लाल कर दिया। शेषावतार का घर आज...

बलदेव के दाऊजी महाराज मंदिर में हुरंगा उत्सव।
1/ 2बलदेव के दाऊजी महाराज मंदिर में हुरंगा उत्सव।
बलदेव के दाऊजी महाराज मंदिर में हुरंगा उत्सव।
2/ 2बलदेव के दाऊजी महाराज मंदिर में हुरंगा उत्सव।
बलदेव (मथुरा),हिन्दुस्तान संवादFri, 22 Mar 2019 08:04 PM
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ब्रज के राजा दाऊजी प्रभु हुरियारे बने तो उनके भक्त भी उसी रंग में रंग गए। हुरियारिनों ने हुरियारों पर कपड़ा फाड़कर बनाए गए रंग में सराबोर पोतनों का वार कर उनका बदन लाल कर दिया। शेषावतार का घर आज ब्रज में होरी रे रसिया, मेरौ खोय गयौ बाजूबंध रसिया होरी में के स्वरों से गूंज उठा। मशीन से गुलाल की बरसात ने भी भक्त मुग्ध किए।

हुरंगा शुरू होने के साथ ही मंदिर संग आसमान बहुरंगी हो गया। अबीर-गुलाल के बादलों से परिसर ढका हुआ लगा। फूलों की पत्तियों से वातावरण मोहक बन गया। इस दृश्य को दर्शन अपलक निहारते दिखाई दिए। हर कोई भक्त दूसरे से बढ़कर स्वयं आनंद लूटने का प्रयास कर रहा था। प्रभु दाऊजी व माता रेवती के दर्शन की ललक और उनका उत्सव देखकर हजारों धन्य हुए। केसर मिश्रित टेसू के फूलों से बने रंगों व विभिन्न तरह के गुलाल अबीर व विभिन्न प्रकार के फूलों की पत्तियों के मध्य गोपिका स्वरूपों ने गोप स्वरूपों की प्रेम पगे कोड़ों से जमकर पिटाई की। मंदिर की छतों लगे पाइपों से उड़ रहे अबीर गुलाल और गुलाब के फूलों की पत्तियों के साथ चल रहे फब्वारों से प्रांगण अलौकिक दिखाई देने लगा।

भांग की तरंग में झूमते ग्वालों ने गोपियों को टेसू के रंग से तरबतर किया। प्रागंण में बने मंच पर बलराम, कृष्ण स्वरूप अपने सखाओं के साथ होली खेल रहे थे। हुरियारों ने ध्वज पताका लिए ढप ढोल खेले कौन चंग, मृदंग की ताल पर बलराम कुमार होली खेले कौन सखी संग, रेवती विराजै कौंन सखिन संग, ब्रज मंडल आज मची होरी, खेलत श्री बलदेव लाड़िली संग लिए रेवत गोरी आदि पद गाकर बलराम जी से हुरंगा खेलने का अनुरोध किया। हुरियारों ने परिसर में बनीं होजों से टेसू के रंगों को उड़ेला।

कपड़े फाड़कर बनाए कोड़े

हुरियारिनों ने हुरियारों के कपड़े फाड़कर पोतने के कोड़े बनाए। हुरियारों द्वारा ध्वज लेकर परिक्रमा करना और उनके पीछे चलकर हुरियारिनों का ध्वजा छीनने का प्रयास रोमांचित करता रहा। इस दौरान हुरियारिनों का नंद के छोरा तोते होरी जब खेलू, मेरी पौहची में नग जड़वाय का राग छेड़ना दर्शकों को उल्लास से भर गया। दाऊजी हल-मूसल धारण किए रहे तो कृष्ण बांसुरी बजाते सम्मोहन बिखर रहे थे। हुरियारिनों ने हुरियारों से झंडा छीन लिया और कहने लगीं ढप धर दे यार गई परकी की तान छेड़ उत्सव का समापन कर दिया।

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