हिन्दुस्तान मिशन शक्तिः सम्मान, सुरक्षा और स्वावलंबन की ज्योति जलाएं
शासन-प्रशासन हर बेटी-हर महिला का सम्मान और सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ उनके स्वावलंबन के लिए प्रतिबद्ध है। ‘जो लोग नारी गरिमा और स्वाभिमान को दुष्प्रभावित करने की कोशिश करेंगे, बेटियों पर...
शासन-प्रशासन हर बेटी-हर महिला का सम्मान और सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ उनके स्वावलंबन के लिए प्रतिबद्ध है। ‘जो लोग नारी गरिमा और स्वाभिमान को दुष्प्रभावित करने की कोशिश करेंगे, बेटियों पर बुरी नजर डालेंगे, उनको बख्शा नहीं जाएगा। ऐसे लोग सभ्य समाज के लिए कलंक हैं। पुलिस-प्रशासन ऐसे लोगों से पूरी कठोरता से निपटेगा। घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं की सुरक्षा के लिए अलग मानीटरिंग की जा रही है। घरों में छेड़छाड़ का शिकार बच्चियों को बचाने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। मगर ऐसे मामलों पर लगाम तभी लगेगी जब बेटियों की तरह बेटों की भी जवाबदेही तय होगी। उनपर नजर रखने के साथ संस्कार दिए जाएं। बेटों को संस्कारित करने से बेटियां अपने आप सुरक्षित हो जाएंगी। ‘हिन्दुस्तान मिशन शक्ति’ के तहत शुक्रवार को आयोजित आगरा मंडल के वेबिनार में कमिश्नर अमित गुप्ता और आईजी ए सतीश गणेश ने यह उदगार व्यक्त किए। उन्होंने वेबिनार में शामिल महिलाओं के हर सवाल के सीधे और सरल जवाब दिए। साथ ही हिन्दुस्तान की इस पहल की तहेदिल से तारीफ भी की।
आयुक्त अमित गुप्ता ने कहा कि हमारे देश में महिलाओं का स्थान सर्वोच्च है। उनको देवी स्वरूप में पूजा जाता है। प्रदेश सरकार के मिशन शक्ति अभियान में कंधे से कंधा मिला कर आपके अखबार हिन्दुस्तान ने ऐसी देवियों को सामने लाने का प्रयास किया है जो कहीं न कहीं, किसी न किसी क्षेत्र में अपने दम पर महिला सशक्तीकरण की मिसाल बनी हैं। उन्होंने कहा कि ‘नारी ‘शक्ति’ की प्रतीक है। हमारी सनातन परंपरा में नारी पूजनीय है, वंदनीय है। आवश्यकता है कि बदलते दौर में नई पीढ़ी को अपनी सनातन संस्कृति की परंपरा का वाहक बनाएं। उनमें, स्त्री के प्रति सम्मान, सुरक्षा और स्वावलंबन की भावना का प्रसार करें. ‘मिशन शक्ति’ इसी दिशा में एक प्रयास है।’
उन्होंने कहा कि बेटा-बेटी में कोई भेद नहीं है। भ्रूण हत्या, बाल-विवाह जैसी बुराइयों को मिटाना होगा। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, कन्या सुमंगला योजना जैसे प्रयासों से बेटियों के उत्थान के लिए कार्य करना होगा। उन्होंने बहुत ही सरल एवं सहज अंदाज में बताया कि किस तरह से महिलाएं आसानी से आत्मनिर्भर बन सकती है। सरकार द्वारा उनके लिए लगातार नए अवसर सृजित किए जा रहे हैं। सिलाई के कार्य, बिजली बिल वितरण, जेम पोर्टल के माध्यम से सप्लाई आदि में महिलाओं के लिए अवसर बना कर उनकी आत्मनिर्भरता का उद्देश्य रखा गया।
इस मौके पर महिलाओं के लिए विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाओं ने आईजी ए सतीश गणेश से सुरक्षा को लेकर सवाल किए। आईजी ने कहा कि अपने खिलाफ होने वाली हिंसा या अपराध की शिकायत बेटियां जरूर करें। आपके सामने 1090, 1070, 189, 112 जैसी तमाम विकल्प हर समय उपलब्ध हैं। इनके अलावा भी कई माध्यम हैं जिनके जरिये बेटियां अपने साथ होने वाले अपराध का विरोध कर सकती हैं। साथ ही सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते हुए अपना जीवन यापन कर सकती हैं। उनको बताया कि महिलाओं से संबंधित अपराध के प्रति पुलिस की संवेदनशीलता को बढ़ाया गया है। अपराध दर्ज होते ही उसका तुरंत फॉलोअप भी सुनिश्चित किया गया है। ऐसी स्थिति भी लाई गई है, जिसमें महिलाओं से संबंधित अपराध के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई में तत्परता बरती गई।
आयोजन के दौरान दोनों ही अधिकारियों ने न सिर्फ महिलाओं और बेटियों को पूरे समाज को जागरूक करने को प्रेरित किया, उनकी दुविधाओं का समाधान भी किया ताकि महिला सशक्तीकरण से जुड़ी उनकी पहल कमजोर न पड़े। इस मौके पर बताया गया कि हिन्दुस्तान द्वारा मिशन शक्ति अभियान के तहत पांच हजार महिलाओं को समाज के सामने लाया जा सका है। ऐसी महिलाएं, जिन्होंने अपना मुकाम तो हासिल किया, साथ ही दूसरों को भी पैरों पर खड़ा होने में मदद की।
महिलाएं कमजोर नहीं हैं। उनके मन में ये रहना चाहिए कि वह सशक्त हैं। उनके आगे बढ़ने के लिए तमाम विकल्प खुले हुए हैं। वह संकल्प लें और अपने को आत्म निर्भर बनाने के लिए प्रयास शुरू कर दें। प्रशासन के माध्यम से उन्हें हर संभव मदद दिलाई जाएगी।
-अमित गुप्ता, मंडलायुक्त
जो कोई महिला की गरिमा और अस्मिता से छेड़छाड़ करे उसे सजा दिलाने के लिए कानून में प्रावधान है। उन कानूनों का सख्ती से पालन करना चाहिए। अपराध को छिपाना नहीं चाहिए। हर अपराध दर्ज होना चाहिए। ताकि अपराध करने वाला पकड़ा जाए। उसे सख्त सजा मिले। उस सजा से समाज में एक संदेश जाए जो कोई नारी पर बुरी नजर डालेगा उसका यही हाल होगा।
-ए सतीश गणेश, आईजी रेंज
हर सवाल का दिया तसल्ली से जवाब दिया
वेबिनार के दौरान दोनों ही पेनलिस्ट से महिलाओं को अपनी जिज्ञासाएं, अपनी वेदना, अपनी व्यथा आदि रखने का मौका मिला। महिलाओं ने भी इस मौके का भरपूर लाभ उठाया। कुछ बुनियादी सवाल रखे। पेनलिस्ट ने भी इन सवालों के जवाब बड़ी तसल्ली से जवाब दिए। हरेक सवाल पर संतुष्ट करने का प्रयास किया।
सवाल: पिंक बेल्ट मिशन महिलाओं को आत्म रक्षार्थ ट्रेन कर रहा है। क्या और भी महिलाओं को इस अभियान से जोड़ा जाता है।
अपर्णा राजावत, संचालक, पिंक बेल्ट मिशन
जवाब: यह कठिन कार्य नहीं है। हमने पूर्व में भी इस तरह के अभियान के लिए सहयोग किया है। यह स्थानीय स्तर पर ही आपसी समन्वय से चलाया जा सकता है।
अमित गुप्ता, मंडलायुक्त
सवाल: आत्मनिर्भरता के लिए कई एसएचजी बने हैं। महिलाएं आत्मनिर्भर हुई हैं। कई समूह ऐसे भी हैं, उनमें पर्दे के पीछे पुरुष लगे हैं। यह किस तरह से ठीक हो।
विनीता कुलश्रेष्ठ
जवाब: एसएचजी का कंसेप्ट महिला सशक्तीकरण का बड़ा माध्यम है। जहां तक पुरुषों के हस्तक्षेप का सवाल है, इसके लिए सभी अधिकारियों को निर्देश हैं कि पर्दे के पीछे इस तरह की गतिविधि को बढ़ावा न दिया जाए। यह भी प्रयास है कि एसएचजी के माध्यम से विभिन्न कल्याण योजनाओं को अमल में लाया जाए। उनके उत्पाद जेम पोर्टल पर बिक सकें।
अमित गुप्ता, मंडलायुक्त
सवाल: आपने स्कूलों में, ऑफिसों में ड्रॉप बॉक्स, सड़कों पर ईव टीजिंग रोकने को एंटी रोमियो स्क्वेड सहित अन्य उपाय किए। यह उपाय किस हद तक प्रभावी हैं महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराध रोकने के लिए।
इशिका बंसल, लेखिका
जवाब: आपको अवार्ड की बधाई। सन 2016 में एक कार्यक्रम के दौरान एचटी संपादक सुनीता एरन ने संस्थानों में ड्रॉप बॉक्स का सुझाव दिया था। इसके नतीजे अच्छे रहे हैं। हमें फीडबैक भी मिला। हमने छिपे हुए अपराधी भी पकड़े। आगरा में कुछ नंबर जारी किए गए हैं। अन्य प्रयास चल रहे हैं। हमने आगरा में महिला अपराधों में लिप्त लोगों को सजा कराने में काफी सफलता हासिल की है। वैसे नारी स्वयं ही शक्ति है।
ए सतीश गणेश, आईजी पुलिस
सवाल: महिलाएं जब मजबूर होकर अपनी व्यथा लेकर थाने जाती हैं तो वहां पुरुषों का वर्चस्व होता है। उनके सामने अजीब से माहौल में वे बात नहीं रख पाती है। मित्रवत माहौल होना चाहिए।
कल्पना राजौरिया, फिरोजाबाद
जवाब: आपने बहुत ही बुनियादी सवाल रखा है। जो पीड़ित होता है, उसकी संवेदनाओं के अनुसार व्यवहार नहीं होता। कोई पैदाइशी पुलिस वाला नहीं होता है। वह एक सिस्टम से ट्रेनिंग लाकर नौकरी पर आता है। हम प्रयास करेंगे कि थानों पर व्यवहार अच्छा हो, प्रशिक्षण में उनको लैंगिक संवेदनाएं, मित्रवत माहौल आदि सिखाया जाएगा। इसके साथ ही प्रयास होगा कि महिला कर्मी इस कार्य को करें। हमने एक दिन की थानेदार भी इसलिए बनाया कि बच्चियां यहां से कुछ सीख कर जाएं, हमको भी फीडबैक देकर जाएं।
ए सतीश गणेश, आईजी पुलिस
सवाल: गली नुक्कड़ पर जो लोग बैठे रहते हैं, कोचिंग, स्कूल जाने वाली लड़कियों के लिए मुश्किल खड़ी करते हैं।
कल्पना राजौरिया
जवाब: हम लोग ऐसे लोगों के खिलाफ एक्शन लेते हैं। लेकिन इन मामलों में पेरेंट्स कहते हैं कि हमारा बच्चा तो ऐसा नहीं है। इसलिए हमने ऐसे प्रयास किए हैं जहां पुलिस की आंख न हो, वहां इलेक्ट्रॉनिक आई होंगी तो ऐसे मामलों पर अंकुश लगेगा।
ए सतीश गणेश, आईजी पुलिस
सवाल: मिशन शक्ति अभियान के तहत थानों में हेल्प डेस्क अच्छी शुरुआत है। ऐसी ही व्यवस्था सरकारी, गैर सरकारी ऑफिस में हो। कुछ जगह क्लास में बच्चों का ग्रुप साइबर अपराध करता है।
लक्ष्मी गौतम, मथुरा
जवाब: हेल्प डेस्क सभी जगह लगाई गई हैं। इसके साथ ही दफ्तर में काम करने वाली महिलाओं के लिए विभिन्न स्तर पर कमेटी बनाई गई है।
अमित गुप्ता, मंडलायुक्त
जवाब: एक लेखक ने कहा है कि तकनीक का इस्तेमाल गलत हाथों में जाता है। यह स्थिति इंटरनेट को लेकर भी है। इसका उपयोग लगातार बढ़ रहा है। यूजर दस घंटे तक जुड़े रहते हैं। ऐसे में साइबर बुलिंग, फोटो का रूप बदलकर मानसिक उत्पीड़न करने जैसे अपराध होते हैं। इस मामले में हमें खुद अपने पर काबू रखना होगा। सोशल मीडिया पर अपनी विजिबिलिटी को कम करना होगा। हालांकि आगरा के साइबर सेल ने बहुत अच्छा काम किया है।
ए सतीश गणेश, आईजी पुलिस
सवाल: आत्मनिर्भर बनने की दिशा में क्या योजनाएं हैं, इनकी क्या अड़चनें हैं।
विनीता जादौन,
जवाब: महिलाओं को रोजगार देने के लिए विभिन्न योजनाएं सरकार की तरफ से लाई गई हैं। इनके माध्यम से लिंगानुपात बेहतर करने का प्रयास है। वहीं दूसरी ओर योजनाओं की अड़चन दूर करने को उनको ऑनलाइन किया गया है।
अमित गुप्ता, मंडलायुक्त
सवाल: महिलाओं का उद्योग बंधु में उचित प्रतिनिधित्व नहीं, किस तरह यह मकेनिज्म बने कि समस्याओं का निदान हो।
महिला उद्यमी,
जवाब: महिलाओं का प्रतिनिधित्व होना चाहिए। इस काम में संगठन भी अहम भूमिका निभा सकते हैं। यह एक अच्छा विषय है।
अमित गुप्ता, मंडलायुक्त
सवाल: घरेलू हिंसा से जुड़े मामले पुलिस गंभीरता से नहीं लेती। परिवार परामर्श केन्द्र भी अपनी भूमिका से न्याय नहीं कर पाते।
संयुक्त सवाल
जवाब: हम ऐसी महिलाओं को परिवार परामर्श से जोड़ते हैं, जो अपने क्षेत्र की जानकार हैं। घरेलू हिंसा में लगातार वृद्धि हो रही है। यूके जैसे देश में भी यह देखने को मिलती है जो हमसे ज्यादा पढ़े लिखे एवं आर्थिक रूप से समृद्ध हैं। कुछ हद तक कहा जा सकता है कि इसमें बच्चियों की ग्रूमिंग, पति ही परमेश्वर है। का भी असर है। इसमें हमें बच्चियों को जागरूक करना होगा। ऐसे अपराधों को सख्ती से निबटना होगा।
ए सतीश गणेश, आईजी पुलिस