
बोले आगरा: आरओबी बने तो आवागमन आसान
संक्षेप: Agra News - मिढ़ाकुर क्षेत्र में आगरा-बयाना रेल ट्रैक पर 20 साल पहले दीवार लगाकर गेट बंद कर दिया गया था। इससे ग्रामीणों और किसानों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
मिढ़ाकुर क्षेत्र में आगरा-बयाना रेल ट्रैक पर गेट नंबर 62 ए रेलवे द्वारा करीब बीस साल पहले दीवार लगाकर बंद कर दिया गया था। तब से यहां के ग्रामीण रेलवे ओवर ब्रिज की मांग कर रहे हैं। किसानों को खेत तक पहुंचने के लिए करीब पांच किमी अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ रहा है। यह अतिरिक्त चक्कर करीब तीस मिनट में तय होता है। धन व समय की बर्बादी होती है। व्यापारी व विद्यार्थी वर्ग भी परेशान है। मिढ़ाकुर क्षेत्र में आगरा रजवाह नहर की पटरी मार्ग पर रेलवे ओवरब्रिज बनाने की मांग लगभग बीस सालों वर्षों से चल रही है लेकिन अभी तक इस मांग की ओर किसी ने भी गंभीरता नहीं दिखाई है।

रेलवे और शासन-प्रशासन रुचि नहीं ले रहा है। जबकि आपको बता दें कि यह मार्ग तीन राजमार्गों को आपस में जोड़ता है। आगरा ग्वालियर हाइवे, आगरा जयपुर हाइवे तथा आगरा दिल्ली हाइवे तक पहुंचाने का यह लिंक मार्ग काफी महत्वपूर्ण है। करीब 20 वर्ष पहले रेलवे द्वारा इस मार्ग को दीवार लगाकर बंद कर दिया गया। इसके चलते राहगीरों तथा ग्रामीणों को काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। यहां रेलवे फाटक बंद हो जाने के कारण कई गांवों के आने जाने का रास्ता काफी समय से बंद चल रहा है। आपके अखबार हिन्दुस्तान के बोले आगरा संवाद के तहत कस्बा मिढ़ाकुर निवासी गोपाल सिंह ने बताया है कि इस मार्ग के बंद हो जाने से ग्रामीणों को भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया है कि किसानों को अपने खेतों पर पहुंचने के लिए पांच किलोमीटर तक का चक्कर लगाकर पहुंचना पड़ता है। इसके अलावा आपात स्थिति में ग्रामीणों को आगरा शहर तक पहुंचने में काफी अतिरिक्त समय लगता है। कई वर्षों से यहां के ग्रामीण इस सड़क को खुलवाने के लिए विधायक, सांसद तथा रेलवे के चक्कर काटते काटते थक चुके हैं लेकिन इस समस्या का कोई समाधान अभी तक नहीं निकल पाया है। संवाद में किसान नेता दिलीप सिंह ने कहा कि आर ओ बी बनवाने के लिए सभी ग्रामीणों को साथ लेकर एक पंचायत बुलाई जाएगी जिसमें आरओबी की मांग की प्रक्रिया पर विचार किया जाएगा। संवाद के दौरान बताया गया कि आरओबी न होने से मलपुरा, बरारा, घड़ी गुलजारी, सहारा, गढ़सानी, सहाई, नागर, अटूस, पनवारी आदि गांवों के ग्रामीण परेशान हो रहे हैं। लोग अब मिढ़ाकुर और बरारा होकर आवागमन करते हैं। आंदोलन कर सकते हैं ग्रामीण मिढ़ाकुर। मिढ़ाकुर ब्लाक क्षेत्र में रेलवे ओवर ब्रिज बनाने की मांग को लेकर ग्रामीण लगातार लामबंद हो रहे हैं। जून के महीने में उन्होंने मिढ़ाकुर में बैठक की थी। आस-पास के काफी गांवों के लोग शामिल हुए थे। तब कहा गया था कि अगर जल्द मांग पूरी नहीं हुई थी आंदोलन होगा।
लोगों का दर्द 1. सड़क बंद होने के कारण किसानों को अपने खेत से चारा लाने के लिए 05 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाकर जाना पड़ता है। काफी परेशानी हो रही है। दलीप सिंह
2. किसानों को अपना अनाज मंडी ले जाने के लिए काफी उबड़ खाबड रास्तों से वाहन निकालने पड़ते हैं। इससे कई बार वाहन रास्ते में पलट जाते हैं। अनाज खराब हो जाता है। - अजीत सिंह- मुकेश कुमार- दलीप सिंह- थान सिंह
3. आपात स्थिति में मरीजों को ले जाने के लिए काफी चक्कर लगा कर जाना पड़ता है। कभी-कभार काफी गंभीर स्थिति उत्पन्न हो जाती है। काफी परेशानी होती है। - गजेंद्र सिंह
4. पैदल तथा साइकिल सवार अवैध रूप से रेल लाइन को पार करते हैं जिसे जान का जोखिम बना रहता है। उनको कोई रोकता-टोकता भी नहीं है। यह काफी गलत है। - हरेंद्र सिंह
5. किसानों को अपने पशु खेतों तक ले जाने में काफी परेशानी होती है। कई बार रेलवे लाइन को पार करने के चक्कर में पशु रेलगाड़ी की चपेट में आ जाते हैं। पशुपालकों को काफी हानि होती है। -गोपाल सिंह
6. सड़क मार्ग बंद रहने के कारण मजदूरों को काफी चक्कर लगाकर शहर में काम करने के लिए जाना पड़ता है जिससे उनका काफी समय खराब होता है। यहां जल्द से जल्द आरओबी बनना चाहिए। - जितेंद्र सिंह
7. आरओबी न बनने के कारण इस मार्ग पर कोई भी उद्योग धंधा विकसित नहीं हुआ है। इससे बेरोजगारी की समस्या काफी बढ़ गई है। युवा गांवों से पलायन कर रहे हैं। - कोमल सिंह
8. ग्रामीणों को अपने मकान इत्यादि बनवाने के लिए सामान लाने में काफी परेशानी होती है। क्योंकि बड़े वाहन अंदर गांव में पहुंच ही नहीं पाते है। इस समस्या का हल किया जाए। - अमित कुमार
9. महिलाओ को बाजार से घरेलू सामान लाने मे काफी परेशानी होती है। ट्रैक पर रेलवे ओवर ब्रिज ही इस समस्या का समाधान है। रेलवे को इस ओर सोचना चाहिए। - दाताराम सिंह
10. छोटे बच्चो को स्कूल ले जाने वाले वाहनों को काफी दूर चक्कर लगा कर पहुंचना पड़ता है। नौनिहाल परेशान रहते हैं । इससे उनकी पढ़ाई-लिखाई में नुकसान होता है। - तेज सिंह

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