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पारा गिरने से बढ़ी आलू किसानों की चिंता

जनपद के आलू उत्पाद किसानों के लिए कोई योजना नहीं हैं। किसान परंपरागत तरीके से ही खेती करते चले आ रहे हैं। किसानों का आलू आढ़तिए खरीद लेते हैं। इसे...

पारा गिरने से बढ़ी आलू किसानों की चिंता
हिन्दुस्तान टीम,आगराWed, 19 Jan 2022 03:35 AM
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जनपद के आलू उत्पाद किसानों के लिए कोई योजना नहीं हैं। किसान परंपरागत तरीके से ही खेती करते चले आ रहे हैं। किसानों का आलू आढ़तिए खरीद लेते हैं। इसे बाहरी प्रांतों में बेच दिया जाता है। किसान व व्यापारी आलू की फसल के समय उसे कोल्ड स्टोर में रखते हैं। आलू की बाजार में कीमत गिरने से उन्हें घाटा उठाना पढ़ता है। आलू की कीमत बढ़ती भी है तो उसमें अधिकतर फायदा व्यापारियों का ही होता है। पारा लगातार गिरने से आलू उत्पादक किसानों की चिंताएं और बढ़ गईं हैं। आलू की फसल में झुलसा रोग लगना शुरू हो गया है। पाला पड़ने बाद आलू की फसल को और अधिक नुकसान होगा। मौसम का सितम देखते हुए उद्यान विभाग किसानों से खेत की नमी बनाए रखने की बात कह रहा है। जिले में लाल आलू की पैदावार सबसे अधिक है। इसे बिहार के बाजार में सबसे अधिक पसंद किया जाता है। किसानों के पास कोई सुविधाएं न होने की वजह से फिलहाल किसानों ने उत्पादन बढ़ाने के लिए कोई विशेष प्रयोग नहीं किए हैं। किसान किसी भी जानकारी के लिए जिला उद्यान कार्यालय से ही जानकारी ले पाते हैं। मोहनपुरा में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक भी समय-समय पर उनकी मदद करते रहे हैं।

नहीं है कोई बड़ी प्रोसेसिंग यूनिट

जनपद में आलू की कोई बड़ी प्रोसेसिंग यूनिट न होने की वजह से किसानों को आलू कोल्ड स्टोर में रही रखना पड़ता है। किसान अपने आलू को खेत में ही व्यापारियों के हाथों बेच देते हैं। जिससे उन्हें आलू मंहगा होने का लाभ नहीं मिल पाता है। बड़े आलू उत्पादक किसान ही आलू की बढ़ी कीमतों का फायदा ले पाते हैं। जिनमें अपनी फसल को रोकने की क्षमता होती

सोरों-कासगंज में होती अधिकांश फसल

आलू की फसल का रकबा जनपद में 5200 हेक्टेयर है। सोरों व कासगंज क्षेत्र में बड़े व छोटे किसान आलू की पैदावार करते हैं। सहावर व पटियाली क्षेत्र में भी आलू की फसल किसान करते हैं। इन दोनों तहसीलों में कासगंज तहसील के मुकाबले फसल कम ही होती है। जिला उद्यान अधिकारी रहे योगेश कुमार कहते हैं कि सोरों क्षेत्र में आलू उत्पादक किसान अधिक हैं।

किसानों को आलू की फसल करने के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं मिल पाता है। फसल को कहां बेचें इसके लिए भी किसान व्यापारियों पर ही निर्भर रहता है। जनपद में आलू की कोई बड़ी प्रोसेसिंग यूनिट न होने से भी किसानों को नुकसान होता है।

हरी शंकर, किसान

आलू का उत्पादन करना किसानों के लिए महंगा साबित हो रहा है। आलू की फसल में किसान की लागत अधिक लगती है। ऐस में आलू के दाम गिरते हैं तो किसानों को काफी घाटा उठाना पड़ता है। मौसम की मार के चलते आलू की फसल में रोग लगना शुरू हो गया है।

सतीश चंद्र शाक्य, किसान

किसान जानकारी के अभाव में आलू की परंपरागत खेती ही करते आ रहे हैं। अधिकांश आलू उत्पादक किसान लाल आलू का उत्पादन करते हैं। अच्छी क्वालिटी के आलू की पैदावार कम किसान ही करते हैं। किसान अधिकतर अपनी फसलें व्यापारियों क हाथों ही बेच देते हैं।

पुल्कित मौर्य, किसान

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