तीन दिन बाद खुले बैंक, उमड़ी भीड़
शुक्रवार व शनिवार को बैंक की हड़ताल और रविवार को सार्वजनिक अवकाश। तीन दिन बाद जब शहर के बैंक खुले तो सुबह से ही भीड़ लग गई। सबसे ज्यादा नकदी जमा करने वालों की भीड़ थी। संजय प्लेस से लेकर प्रमुख...
शुक्रवार व शनिवार को बैंक की हड़ताल और रविवार को सार्वजनिक अवकाश। तीन दिन बाद जब शहर के बैंक खुले तो सुबह से ही भीड़ लग गई। सबसे ज्यादा नकदी जमा करने वालों की भीड़ थी। संजय प्लेस से लेकर प्रमुख बाजारों की शाखाओं में लोगों को नकदी जमा करने के लिए एक से दो घंटे तक का इंतजार करना पड़ा। इस दौरान बैंकों में क्लियरिंग के चेक की संख्या भी ढाई गुना तक पहुंच गई।
विभिन्न श्रेणी के कारोबार के अलावा एफएमसीजी वितरक, नकदी वाले काउंटर आदि पर लोगों ने एक मुश्त बड़ी राशि जमा की। इस स्थिति के चलते कई बैंकों में दिन भर के हिसाब में डेबिट एंट्री से ज्यादा क्रेडिट एंट्री रहीं। शहर की कई बैंक शाखाओं ने पासबुक एन्ट्री के लिए अलग से व्यवस्था कर रखी है। इसके बावजूद काउंटर पर बैठे बैंक कर्मी दिनभर व्यस्त रहे। वरिष्ठ प्रबंधकों और अन्य आला अधिकारियों ने खुद को पब्लिक डीलिंग में लगाया।
नकद निकालना और जमा करना, पासबुक एन्ट्री, ड्राफ्ट एवं एनईएफटी-आरटीजीएस की औपचारिकताएं पूरी करना, चेक जमा करना, लोन की किश्त का समायोजन, लॉकर ऑपरेशन सहित दर्जनों कार्य के लिए लोगों को सामान्य से ज्यादा समय लगा।
ढाई गुना ज्यादा चेक आए
नई व्यवस्था में अब बैंकों में माइकर हाउस तो नहीं लगता, लेकिन सामान्य से ढाई गुना ज्यादा चेक आने की वजह से व्यवस्था बाधित हुई। एक मोटे अनुमान के अनुसार जनपद भर की बैंकों के पास सामान्य रूप से आने वाले लगभग 10 हजार चेकों की बजाए लगभग 25 हजार चेक पहुंचे। इनकी राशि 200 करोड़ से भी ज्यादा रही।
वेतन कटाया, काम भी करना पड़ा
हड़ताल करने वाले बैंक कर्मियों के लिए अजीब स्थिति रही। शुक्रवार एवं शनिवार की अवधि में अनुपस्थित रहने के लिए उनको अपना दो दिन का वेतन कुर्बान करना पड़ा, लेकिन इस अवधि के बचे हुए काम से उनको मुक्ति नहीं मिली। सोमवार को पूरे दिन लगने के बाद भी कई पटल का काम नहीं निपटा। कुछ ने देर रात तक माथा खपाया। शेष ने अगले दिन के लिए छोड़ दिया।