
पवित्रता से ही संभव है जीवन में संतुलन : सौम्य सागर महाराज
संक्षेप: Agra News - पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर में आचार्य विद्या सागर महाराज ने संतुलन और आंतरिक शुद्धता पर धर्म सभा में महत्वपूर्ण विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि पवित्रता केवल पूजा तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसे...
पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर छीपीटोला जैन भवन में मंगलाचरण के साथ सभा का शुभारंभ हुआ। तत्पश्चात आचार्य विद्या सागर महाराज के चित्र का अनावरण और दीप प्रज्ज्वलन हुआ। धर्म सभा के दौरान मुनिश्री ने कहा कि जीवन में संतुलन केवल बाहरी संसाधनों से नहीं आता। बल्कि आंतरिक शुद्धता से उपजता है। यह संतुलन ही आधुनिक जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हर प्राणी को पवित्रता पसंद होती है, लेकिन केवल पसंद करना पर्याप्त नहीं बल्कि उसके लिए प्रयत्न भी आवश्यक हैं। जो वस्तु हमें प्रिय लगती है, उसके लिए हम प्रयासरत रहते हैं। किंतु पवित्रता, जिसे हम आत्मा से चाहते हैं, उसके लिए प्रयत्न क्यों नहीं करते।

उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि पवित्रता की चाहत केवल मंदिर या पूजा तक सीमित न रह जाए, यह भावना घर, परिवार, समाज और सम्पूर्ण जीवन में प्रतिबिंबित होनी चाहिए। यदि हम परिवार को पवित्र बनाना चाहते हैं, तो पहले हमें अपने संबंधों को शुद्ध, संवेदनशील और संतुलित बनाना होगा। मनुष्य सामाजिक प्राणी है और समाज की पवित्रता का आधार परिवार ही है। जब रिश्तों में पवित्रता होगी, तभी समाज में सच्ची शुद्धता आएगी।

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