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आधार ने की आगरा की नींद हराम

आधार कार्ड बनवाना ताजनगरी के वाशिंदों के लिए मुसीबत बन गया है। बगैर ‘आधार उनका जीवन निराधार हो गया है। सरकार की जनहितकारी योजनाओं से लेकर बच्चों के स्कूल प्रवेश में दिक्क्तें खड़ी हो गई हैं। इसको...

आधार ने की आगरा की नींद हराम
हिन्दुस्तान टीम,आगराTue, 02 Jul 2019 02:12 AM
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आधार कार्ड बनवाना ताजनगरी के वाशिंदों के लिए मुसीबत बन गया है। बगैर ‘आधार उनका जीवन निराधार हो गया है। सरकार की जनहितकारी योजनाओं से लेकर बच्चों के स्कूल प्रवेश में दिक्क्तें खड़ी हो गई हैं। इसको प्राप्त करने के लिए ताजनगरी के बाशिंदे रतजगा करने को विवश हैं। सारी हदें अब पार हो गई हैं। सुबह तीन बजे मासूमों के साथ डाकघर पहुंचने वाली महिलाएं खाना बनाकर साथ ला रही हैं। ताकि, तमाम यातनाएं झेलते हुए वे अपने साथ आधार की रसीद लेकर जाएं। भीषण गर्मी को मासूम झेल रहे हैं। डाकघर में ही खाना खा रहे हैं। सुबह तीन बजे से शाम चार बजे तक लाइनों में लग रहे हैं। इसके बाद भी जिला प्रशासन, डाक सेवा के अधिकारी और जनप्रतिनिधियों का इस ओर ध्यान नहीं हैं।

‘आधार कार्ड बनवाने और उसमें संशोधन कराने के लिए जिलेभर में कोहराम मचा हुआ है। डाकघरों के बाहर लोगों की लाइनें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब संजय प्लेस डाकघर के बाद सुबह तीन बजे से प्रतापपुरा प्रधान डाकघर पर लाइन लगना शुरू हो गई हैं। सुबह दस बजे मिलने वाले टोकन के लिए सुबह तीन बजे से लोगों का आगवामन शुरू हो जाता है। महिलाओं के हाथ में खाना, बच्चों के लिए दूध, पानी की बोतल आदि सभी व्यवस्थाएं देखने को मिल रही हैं। ताकि, शाम तक वे आधार की रसीद लेकर जा सकें। कड़ाके की धूप में वे लाइनों में लग रहे हैं। मासूम बच्चों का गर्मी से हाल बेहाल है। इसके बाद भी लापरवाही बरतने वाले अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई देखने को नहीं मिल रही है।

सरकार ने निजीकरण समाप्त कर आधार की जिम्मेदारी सरकारी महकमों को सौंपी है। इसके बाद से आधार सेवाएं लचर हो गई हैं। जिले में 93 आधार मशीन संचालित की गई थीं। इसमें से महज 86 मशीनें ऑनलाइन पोर्टल पर शो कर रही हैं। इनमें से भी एक महीने में करीब 20 मशीनों से काम नहीं हुआ है। 20 मशीनें ऐसी हैं, जो महज खानापूर्ति कर रही हैं। इनका औसत एक महीने में 20 आधार कार्ड बनाने और संशोधन का भी नहीं आ रहा है। ऐसे में लोग आधार कार्ड बनवाने के लिए भटक रहे हैं। जिले में सर्वाधिक भीड़ संजय प्लेस और प्रतापुरा प्रधान डाकघर पर उमड़ रही है। संजय प्लेस में एक और प्रतापुरा में दो मशीनें संचालित हैं। एक मशीन दिन में महज 30 लोगों के आधार कार्ड बनाने और संशोधन करने का कार्य करती है। जबकि, यहां एक दिन में 100 से 150 लोग आधार कार्ड बनवाने के लिए सुबह तीन बजे से पहुंच रहे हैं। हालात ये हो गए हैं कि भीषण गर्मी में भी लोग धूप में खड़े होकर टोकन ले रहे हैं।

कैमरा देख व्यक्त की पीड़ा

मुझे अपनी बेटी का आधार कार्ड बनवाना था। मैं कहरई के नगला कली से आई हूं। सुबह पांच बजे से लाइन में लगी हूं। दोपहर के 12 बजे गए, लेकिन अभी तक नंबर नहीं आया है। कोई अधिकारी किसी की पीड़ा नहीं सुन रहा है।

-अंजली

घर से सवा चार बजे निकली थी। बेटी का आधार कार्ड बनवाना था। चक्की पाट घर से प्रतापुरा डाकघर में पौने पांच बजे पहुंच गई। इतनी लंबी लाइन लगी हुई थी कि टोकन प्राप्त करना भी मुश्किल हो गया। आधार कार्ड बनवाने के लिए एक महीने से परेशान घूम रही हूं।

-अल्पना

मैं मुल्ला की प्याऊ से साढ़े चार बजे डाकघर आ गई। यहां आकर देखा तो टोकन लेने के लिए 35 से 40 आदमी पहले से आए हुए थे। बमुश्किल टोकन प्राप्त किया। दोपहर के दो बज गए, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है।

-इमराना

छात्र-छात्राओं को आधार की जरूरत

कक्षा नौ से लेकर इंटर तक के विद्यार्थियों के लिए आधार कार्ड आवश्यक है। स्कॉलरशिप से लेकर परीक्षा फार्म में आधार नंबर की आवश्यकता पड़ती है। स्कूल-कॉलेज खुलते ही विद्यार्थियों की परेशानियां भी बढ़ गई हैं। वहीं, विश्वविद्यालय, शहर के कॉलेज में बिना आधार कार्ड के वेब रजिस्ट्रेशन नहीं हो सकता है। निजी कंपनियों की लापरवाही के कारण अधिकांश विद्यार्थियों के आधार कार्ड में संशोधन होना है।

आधार से मिलता है सरकारी योजनाओं का लाभ

किसान, मजदूर, व्यापारी, शिक्षक आदि सभी वर्ग से जुड़े लोगों को वर्तमान सरकार में आधार की आवश्यकता है। सरकार की जनहितकारी योजनाओं से लेकर निजी कार्यों में आधार सबसे पहले मांगा जाता है। मोबाइल सिम, गैस कनेक्शन, बिजली कनेक्शन, पासपोर्ट से लेकर होटल में कमरा भी आधार के बगैर नहीं दिया जाता है। किसानों को कृषि क्षेत्र में आधार देना पड़ता है।

बैंक का छूटा सहयोग, व्यवस्था हुई भंग

जिले में आधार कार्ड बनाने के लिए बैंकों को भी जिम्मेदारी दी गई थी। शुरुआत में बैंकों ने बेहतर कार्य किया, लेकिन धीरे-धीरे बैंक ने कार्य करना बंद कर दिया। आरोप है कि कई बैंक आज भी आधार कार्ड का कार्य कर रही हैं, लेकिन वे अपने ग्राहकों को ही सुविधाएं दे रही हैं। कुछ बैंक नजीर पेश कर रही हैं, जो महीने में 14 सौ तक का आंकड़ा पार कर गई हैं। कुछ बैंकों के खिलाफ नोटिस तक जारी हो गए हैं, लेकिन हालात नहीं सुधरे हैं।

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