कांच नगरी में काम करते मिले आठ हजार बाल श्रमिक
जिले में कराए गए सर्वे में आठ हजार से अधिक बाल श्रमिक कार्य करते पाए गए । सर्वे में 4894 बच्चे ऐसे मिले हैं जिनका नाम को स्कूल में लिखा हुआ है। लेकिन घर पर परिजनों के साथ चूड़ी जुड़ाई, झलाई, फूट बजाई...
जिले में कराए गए सर्वे में आठ हजार से अधिक बाल श्रमिक कार्य करते पाए गए । सर्वे में 4894 बच्चे ऐसे मिले हैं जिनका नाम को स्कूल में लिखा हुआ है। लेकिन घर पर परिजनों के साथ चूड़ी जुड़ाई, झलाई, फूट बजाई का काम करते हैं।
बाल श्रमिकों के ये आंकड़े प्रशासन द्वारा कराए गए सर्वे में सामने आए हैं। बुधवार जिलाधिकारी की अध्यक्षता में सम्पन् हुई बाल श्रमिक कल्याण समिति की बैठक में सर्वे रिपोर्ट का प्रस्तुतिकरण किया गया। इस रिपोर्ट के आधार पर बालश्रमिकों के लिए विद्यालय खोले जाएंगे। सर्वे रिपोर्ट का प्रस्तुतीकरण कार्यदायी संस्था एसआरके कालेज समाजशात्र विभागाध्यक्ष डा. यूएस पांडे ने किया। उन्होंने बताया कि डोर टू डोर कराए गए सर्वे में 8,781 बाल श्रमिक चिन्हित किए गए। ये बच्चे विशेषकर कांच की चूड़ियों की घरों पर होने वाली जुड़ाई, झलाई, फूटबजाई, सधाई आदि कार्य में लगे पाए गए।
सर्वे में 3887 बच्चे एसे मिले जो स्कूल जाते हैं और मजदूरी भी करते हैं। आठ से 14 साल के 1765 बच्चों ने अभी तक स्कूल नहीं देखा। ये बाल मजदूरी करते हैं। इसी तरह आठ बर्ष तक के 663 बच्चे भी परिजनों के साथ काम करते पाए गए। 4894 का नाम तो स्कूल में दर्ज करा दिया। लेकिन बालश्रम करते पाए गए। डीएम नेहा शर्मा ने कहा कि आठ साल के 663 एवं आठ से 14 तक के 1765 बच्चों के लिए बाल श्रमिक स्कूल खुलवाए जाएंगे। जहां उन्हें पढ़ाई के साथ रोजगार परक ट्रेनिंग दिलाई जाएगी। उन्होंने सम्बंधित अधिकारियों को इस दिशा में जल्द कार्यवाही करने के निर्देश दिए। बैठक में एडीएम उदय सिंह, बीएसए डा. सच्चिदानंद, उद्यमी मोहनलाल अग्रवाल, जिला प्रोबेशन अधिकारी अजयपाल सिंह आदि मौजूद करे।