भारत की आत्मा को समझना होगा : प्रो. अरुणोदय बाजपेई
-पंडित दीनदयाल उपाध्याय ग्राम्य विकास संस्थान में बनाई गई पंडित जी की 107वीं जन्म...

-पंडित दीनदयाल उपाध्याय ग्राम्य विकास संस्थान में बनाई गई पंडित जी की 107वीं जन्म जयंती
-संगोष्ठी का किया गया कार्यक्रम में आयोजन, पं. दीनदयाल उपाध्याय के रास्ते पर चलने की सीख
आगरा। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में पं. दीनदयाल उपाध्याय जी की 107वीं जन्म जयंती के उपलक्ष्य में विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। पालीवाल पार्क परिसर स्थित पं. दीनदयाल उपाध्याय ग्राम्य विकास संस्थान में आयोजित कार्यक्रम ‘पं. दीनदयाल उपाध्याय जी के विचारों की प्रासंगिकता : समसामयिक राजनीतिक परिदृश्य में पर विचार व्यक्त किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ कुलपति प्रो. आशु रानी, कुलसचिव राजीव कुमार, निदेशक डॉ. मनोज राठौड़ ने पालीवाल परिसर में स्थित पं. दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर किया। वरिष्ठ प्रोफेसर प्रो. अरुणोदय बाजपेई ने कहा कि संपूर्ण भारत पं. दीनदयाल का घर था और राजनीति, राष्ट्र साधना का माध्यम थी। पं. दीनदयाल के अनुसार भारत की आत्मा गांव में बसती है और जब तक ग्रामीण क्षेत्र आत्मनिर्भर नहीं होंगे। तब तक भारत के विकास की कल्पना निरर्थक रहेगी। प्रो. अनुराग पालीवाल ने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय का सामाजिक चिंतन वर्ण व्यवस्था का इस आधार पर समर्थन करता था कि इससे व्यवसायिक गतिशीलता संभव होती है। लेकिन उन्होंने जातिगत अपृश्यता का हर संभव विरोध किया। कार्यक्रम में औटा अध्यक्ष प्रो. अनुराधा गुप्ता, कला संकाय की डीन प्रो. हेमा पाठक, प्रो. यूसी शर्मा, डॉ. आयुष मंगल, नम्रता तोमर, डॉ. आभा सिंह, डॉ. राजेश कुशवाह, डॉ. प्रमोद कुमार, आयुष शुक्ला, रितु सेंगर, स्वदेश मिश्रा मौजूद रहे।
