Hindi NewsUP NewsAeroplane cockpits are opened by pilots from inside only then why a passcode panel installed in aircrafts know purpose
हवाई जहाज का कॉकपिट अंदर से पायलट ही खोल सकता है तो बाहर पासकोड पैनल का क्या काम है?

हवाई जहाज का कॉकपिट अंदर से पायलट ही खोल सकता है तो बाहर पासकोड पैनल का क्या काम है?

संक्षेप: हवाई जहाज के कॉकपिट में बगैर पायलट के परमिशन कोई नहीं जा सकता। कॉकपिट को अंदर से पायलट ही खोल सकते हैं। लेकिन कई जहाज में इमरजेंसी के लिए एक पासकोड पैनल है। जानिए ये किस काम के लिए हैं और इसमें पासवर्ड कैसे काम करता है।

Tue, 23 Sep 2025 06:40 AMRitesh Verma लाइव हिन्दुस्तान, वाराणसी
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बेंगलुरु से वाराणसी आ रहे एयर इंडिया एक्सप्रेस के एक हवाई जहाज में सोमवार को अजीब घटना हुई। दो यात्री टॉयलेट का दरवाजा समझकर कॉकपिट का गेट खोलने की कोशिश करने लगे। कॉकपिट के बाहर पासकोड पैनल था। पैसेंजर उसमें नंबर दबाने लगे, जिससे जहाज उड़ा रहे पायलट को अंदर आने के रिक्वेस्ट का अलर्ट मिला। पायलट को सीसीटीवी में दिखा कि क्रू मेंबर (एयर होस्टेस और फ्लाइट अटेंडेंट) नहीं हैं तो उसने रिक्वेस्ट रिजेक्ट कर दिया। पैसेंजर ने बार-बार बटन दबाया और पायलट ने हर बार उसे रिजेक्ट किया।

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बार-बार रिजेक्ट करने के बाद भी पासकोड पैनल पर नंबर दबाने से पायलट को हाइजैक की कोशिश का शक हुआ तो उसने एटीसी को जानकारी दी। लैंडिंग के बाद दोनों यात्रियों को सात और साथियों के साथ पूछताछ के लिए वाराणसी पुलिस के हवाले कर दिया गया। गेट खोलने की कोशिश करने वाले पैसेंजर ने पुलिस को कहा कि वो पहली बार जहाज में चढ़ा था और टॉयलेट समझकर कॉकपिट का गेट खोलने की कोशिश कर रहा था। यात्री कर्नाटक के हैं, जिन्हें पुलिस ने बेंगलुरु से बैकग्राउंड चेक करवाने के बाद छोड़ दिया है।

कॉकपिट को पायलट ही अंदर से खोल सकता है

एविएशन नियमों के मुताबिक जहाज का गेट बंद होने और लैंडिंग के बाद गेट फिर खुलने तक कॉकपिट में पायलट की इजाजत और पायलट के गेट खोले बिना कोई नहीं जा सकता। हवाई सफर में हम देखते होंगे कि जब कोई पायलट टॉयलेट जाता है तो उससे पहले एक एयर होस्टेस यात्रियों का रास्ता ट्रे लगाकर बंद कर देती है और दूसरी एयर होस्टेस कॉकपिट में जाती हैं। जब पायलट लौट आता है तो वो एयर होस्टेस बाहर आती है और फिर टॉयलेट यात्रियों के इस्तेमाल के लिए खुल जाता है।

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पहले एक पायलट के निकलने पर दूसरा पायलट अंदर रहता था और एयर होस्टेस की जरूरत नहीं होती थी। लेकिन एक बार एक पायलट के बाहर जाने पर दूसरे पायलट ने कॉकपिट का गेट नहीं खोला और जहाज को जान-बूझकर क्रैश करा दिया। तब से नियम आया कि कॉकपिट में पायलट को अकेला नहीं छोड़ा जाएगा। एक पायलट बाहर निकलेगा तो अंदर एक क्रू मेंबर तब तक रहेगा, जब तक वह लौट ना आए। ज्यादातर जहाज में कॉकपिट के बाहर पासकोड पैनल नहीं होता लेकिन काफी हवाई जहाज में अब ये लगा दिया गया है।

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बोइंग 737 के पायलट और कॉकपिट क्लासेज के डायरेक्टर कैप्टन अरविंद पांडेय से हमने पूछा कि जब कॉकपिट सिर्फ पायलट ही अंदर से खोल सकता है तो बाहर पासकोड किस काम के लिए दिया गया है। पांडेय ने बताया कि यह एक बहुत विचित्र इमरजेंसी हालात के लिए लगाया गया है, जब कॉकपिट में मौजूद दोनों पायलट को कुछ हो जाए और वो क्रू मेंबर के साथ संपर्क में ना रहें। ऐसी स्थिति में सीनियर क्रू मेंबर पहले से तय पासकोड डाल सकता है और उस कोड को डालने के बाद आए अलर्ट को पायलट अगर 30 सेकंड में रिजेक्ट नहीं कर दे तो गेट बाहर से खुल सकता है। लेकिन अगर पायलट ने पासकोड के रिक्वेस्ट को 30 सेकंड के अदर ही रिजेक्ट कर दिया तो फिर अगले 30 मिनट तक पैनल कोई पासकोड ले भी नहीं सकता।

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कैप्टन अरविंद पांडेय ने बेंगलुरु-वाराणसी फ्लाइट में हुई घटना की जानकारी देने पर बताया कि ऐसी और इस तरह की तमाम इमरजेंसी परिस्थितियों के लिए पायलट और सीनियर क्र मेंबर के पास अलग-अलग नंबर के कोड होते हैं। जहाज के ट्रांसपोंडर में वो कोड डालने से एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) को पता जाता है कि जहाज के साथ क्या समस्या है। इसके अलावा भी कोडवर्ड होते हैं, जो सफर से पहले पायलट और क्रू को दिए जाते हैं और वो उस सफर के साथ ही खत्म हो जाते हैं। पांडेय ने कहा कि इसके बारे में विस्तार से नहीं बताया जा सकता है क्योंकि यात्रियों की सुरक्षा के लिए इसकी जानकारी संबंधित लोगों तक रहना ही सुरक्षित है।

Ritesh Verma

लेखक के बारे में

Ritesh Verma
रीतेश वर्मा लगभग ढाई दशक से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। बिहार में दैनिक जागरण से करियर की शुरुआत करने के बाद दिल्ली-एनसीआर में विराट वैभव, दैनिक भास्कर, आज समाज, बीबीसी हिन्दी, स्टार न्यूज, सहारा समय और इंडिया न्यूज के लिए अलग-अलग भूमिका में काम कर चुके हैं। और पढ़ें
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