Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़17 years ago child was kidnapped when he grew up he became lawyer and got accused punished

17 साल पहले बच्चे का हुआ था अपहरण, बड़ा हुआ तो वकील बनकर आरोपियों को दिलाई सजा

यूपी के आगरा में 17 साल पहले आठ साल के बच्चे का फिरौती के लिए अपहरण किया था। उसी बच्चे ने अब वकील बनकर अपहरण करने वाले आरोपियों को सजा दिलाई।

Dinesh Rathour हिन्दुस्तान, आगरा, कार्यालय संवाददाताFri, 20 Sep 2024 01:08 PM
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17 साल पहले एक आठ साल के बच्चे का फिरौती के लिए अपहरण कर लिया गया था। बच्चा छूटा और बड़ा होने लगा। लेकिन आरोपियों को बिना सजा दिलाए बच्चा चैन से नहीं बैठना चाहता था। बच्चे ने बचपन में ही आरोपियों को सजा दिलाने की ठानी। बड़ा हुआ तो वह वकील बन गया। इसके बाद उसने उन सभी आरोपियों को सजा दिलाई जिसने बचपन में उसका अपहरण किया था। आगरा की ये कहानी फिल्मी लगती है, लेकिन सच्चाई यही है। 

दरअसल 17 साल पहले व्यवसायी के सात वर्षीय भतीजे हर्ष गर्ग का फिरौती वसूलने के लिए अपहरण कर लिया गया था। यही नहीं विरोध करने पर उसके अधिवक्ता पिता पर जानलेवा हमला भी किया गया था। इस मामले में अदालत ने आरोपी गुड्डन काछी, राजेश शर्मा, राजकुमार, फतेह सिंह उर्फ छिगा, अमर सिंह, बलवीर, रामप्रकाश एवं भीकम उर्फ भिखारी को दोषी पाया है। अपर जिला जज नीरज कुमार बक्शी ने आरोपियों को आजीवन कारावास एवं एक लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। वहीं कोर्ट ने चार आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। अभियोजन की ओर से एडीजीसी नाहर सिंह तोमर ने घटना से जुड़े अहम साक्ष्य, तर्क दिए कि राजस्थान के गैंग के साथ मिल घटना को अंजाम दिया था।

व्यवसायी अविनाश गर्ग ही मुकदमे का वादी है। वो दस फरवरी 2007 को अपनी दुकान पर बैठा था। उसी दौरान शाम करीब सात बजे राजस्थान नंबर की जीप आकर रुकी। उसमें से तीन लोग पुलिस की वर्दी में उतरे। दुकान में वादी के पास खड़े उसके सात वर्षीय भतीजे हर्ष गर्ग को उठाकर ले जाने लगे। वादी के अधिवक्ता भाई रवि कुमार गर्ग ने विरोध किया तो उन्होंने उसे गोली मार दी। अपहरण करते समय कहा कि जो रकम मांगी जाए उसे जल्दी उन लोगों तक पहुंचा देना, नहीं तो नुकसान भरना पड़ेगा। 

आरोपियों ने 55 लाख की फिरौती मांगी थी। लेकिन बाद में पुलिस आरोपियों की घेराबंदी कर 26 दिन बाद अपहृत को शिवपुरी मध्य प्रदेश से बरामद किया था। पुलिस ने जांच के दौरान मार्च एवं अप्रैल 2007 में आरोपी राजेश शर्मा, राजकुमार, रामप्रकाश, फतेह सिंह, बलवीर उर्फ राजवीर, भीकम, अमर सिंह निवासी बसेड़ी धौलपुर, गुड्डन काछी निवासी खेरागढ़ आदि को गिरफ्तार किया था। आरोपियों के विरुद्ध्र साक्ष्य मिलने पर पुलिस ने आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया। पुलिस के मुताबिक गुड्डन काछी का लंबा चौड़ा आपराधिक इतिहास है। उसके ऊपर कई दर्जन मुकदमें चल रहे हैं।

पंद्रह की गवाही, अपहृत की रही अहम

अभियोजन की ओर से एडीजीसी नाहर सिंह तोमर ने 15 गवाह पेश किए। इसमें वादी अविनाश गर्ग, उसके भाई रवि गर्ग, भतीजे हर्ष गर्ग, पुलिसकर्मी रामप्रसाद, डॉ. अशोक कुमार यादव, डॉ. केएम तिवारी, पुलिस उपाधीक्षक त्रिपुरारी पांडेय, सेवानिवृत्त भारत सिंह, रामकैलाश, देवेन्द्र सिंह कुशवाह, गिरेंद्रपाल सिंह आदि की गवाही हुई। इसमें वादी के भतीजे और वादी के भाई की गवाही अहम रही। हर्ष ने वकील के रूप में खुद अपना पक्ष रखा।

हर्ष ने खुद वकालत के साथ कर रहे तैयारी

24 वर्षीय हर्ष गर्ग ने बताया कि वकालत के साथ-साथ वह अब न्यायिक परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने ही अपने मुकदमें की पुरजोर तरीके से पैरवी की है। हिम्मत नहीं हारी और आरोपियों को सजा दिलाकर ही दम लिया। उन्होंने बताया कि सात साल की उम्र में उनका अपहरण हुआ था। पिता को गोली लगी थी। उस घटना को अभी तक भुला नहीं पाए हैं। इस समय उसके पिता रवि गर्ग मनरेगा में लोकपाल हैं।

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