15 हजार उपभोक्ताओं की बिजली खपत शून्य, स्मार्ट मीटर कंपनियां भी दंग; जांच शुरू
संक्षेप: मीटर लगाने और बदले जा रहे मीटरों को प्रीपेड मोड पर चलाने की प्रक्रिया जारी है। अब तक प्रीपेड मोड में बदले गए मीटरों में से करीब 15 हजार मीटर ऐसे हैं, जो लगातार 15 दिन से उपभोक्ताओं की बिजली खपत शून्य दिखा रहे हैं। यह जानकारी सामने आने के बाद कारणों की पड़ताल की जा रही है।

Electricity News: लगातार 15 दिनों तक क्या किसी के यहां बिजली की खपत 'शून्य' हो सकती है। पावर कॉरपोरेशन और स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने वाली कंपनियां भी आंकड़ों से अचरज में हैं। प्रदेश में जिन उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने के बाद प्रीपेड मोड में चल रहे हैं, उनमें से तकरीबन 15 हजार के साथ ऐसा ही हो रहा है। इनकी बिजली की खपत शून्य दिख रही है। कॉरपोरेशन और मीटर लगाने वाली कंपनियां वजहों की तह तक पहुंचने के लिए मामले की आंतरिक पड़ताल कर रही हैं।
आरडीएसएस योजना के तहत प्रदेश के सभी उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने हैं। मीटर बदले जाने के लिए उपभोक्ताओं से कोई शुल्क नहीं लिया जा रहा है। कॉरपोरेशन इस पर तकरीबन 27,342 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है। प्रदेश में 3.65 करोड़ उपभोक्ता हैं और अब तक 39,33,924 उपभोक्ताओं के यहां मीटर बदल कर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा रहे हैं।
मीटर लगाने और बदले जा रहे मीटरों को प्रीपेड मोड पर चलाने की भी प्रक्रिया जारी है। अब तक प्रीपेड मोड में बदले गए मीटरों में से करीब 15 हजार मीटर ऐसे हैं, जो लगातार 15 दिन से उपभोक्ताओं की बिजली खपत शून्य दिखा रहे हैं। हाल ही में समीक्षा बैठक के लिए एकत्रित की जा रही जानकारी के दौरान यह बात सामने आई है। तब से कारणों की पड़ताल की जा रही है।
मीटरों तक जा रहा करंट
पावर कॉरपोरेशन ने स्मार्ट प्रीपेड मीटरों में ऐसी भी खामियां पाई हैं कि जिनमें लोड शून्य दिख रहा है। प्रदेश में 1200 से ज्यादा इस तरह के मामले सामने आए हैं। कॉरपोरेशन ने पाया कि मीटरों तक करंट पहुंच रहा है लेकिन लोड सर्वे के दौरान वोल्टेज शून्य दिखा रहा है।
मीटरों की गुणवत्ता पर पहले भी उठे हैं सवाल
मीटरों की गुणवत्ता पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम में जुलाई-अगस्त में तमाम उपभोक्ताओं ने लोड जंप करने की शिकायत की थी, जिसके बाद सॉफ्टवेयर में अपडेट करवाया गया था। इसके अलावा उपभोक्ता परिषद ने भी मीटरों में चीनी कंपोनेंट इस्तेमाल किए जाने का आरोप लगाया था।





