Hindi News टैग्सUrmil Kumar Thapaliyal

Urmil Kumar Thapaliyal की खबरें

नए अस्तबल में पुराना लतियाव

नए अस्तबल में पुराना लतियाव

मेरे इस लिखे का आज की चुनावी राजनीति से कोई उल्टा-सीधा संबंध नहीं है। एक दिन जब मैं एक समकालीन अस्तबल में घुसा, तो वहां परंपरागत लतियाव बदस्तूर जारी था। जवान घोडे़ नौजवानों की तरह और बड़े-बूढ़े घोड़े...

Sat, 14 Jul 2018 12:51 AM
समकालीन मुहावरों की नई खेप

समकालीन मुहावरों की नई खेप

इधर समकालीन मुहावरों की नई खेप आई है। ऊंची फेंकने के इस मौसम में उबलता दूध अब ठंडा हो रहा है। नए जुमलों के नए तेवर हैं। आप चाहें, तो किसी आलोचक की तरह इनके वीभत्स मंतव्य निकाल सकते हैं। आपका लेख बगैर...

Fri, 11 May 2018 09:34 PM
दुराचारी मौसम में चुनावी आहटें

दुराचारी मौसम में चुनावी आहटें

अगर आपको अगला चुनाव लड़ना है, तो अपराध ऐसे ढंग से करिये कि वो तत्काल सिद्ध न हो सके। सिद्ध अपराधी अगर जेल में भी हों तो चुनाव जीत जाते हैं। अगर आप में हनक और प्रतिभा है तो आप जमानत पर छूटकर अपनी...

Sat, 21 Apr 2018 12:25 AM
जो बाजे घना समझो वही चना

जो बाजे घना समझो वही चना

अब हुजूर, उपचुनाव हो या चुपचुनाव। कहा गया है कि जीते को तो दारू-मुर्गा, हारे को तो बस हरिनाम। यह भी सिद्ध हो गया कि अगर कहीं दो चिर विरोधी मिल जाएं, तो भगवान को भी लंगड़ी मार सकते हैं। राजनीति में...

Fri, 16 Mar 2018 09:23 PM
फूल से फूल तक सनसनी है

फूल से फूल तक सनसनी है

जिसकी आंखों में मोतियाबिंद हो, उसका नजरिया भी धुंधलाया होता है। इस बार राजपथ और जनपथ की भव्य व दिव्य झांकियों के साथ सिनेमाघरों की झांकी भी बड़ी धांसू, मारू और बांकी रही। ठकुराई वाला विरोध संक्रामक...

Fri, 26 Jan 2018 09:31 PM
अमां सूरज, तुम निकलते कब हो यार

अमां सूरज, तुम निकलते कब हो यार

नए साल को आए हफ्ता भर हो गया, लेकिन सूरज तुमने दर्शन नहीं दिए। तुम कौन सा चुनाव हारे हो भई, जो हमसे मुंह छिपाए फिर रहे हो? हम यहां सर्दी के मारे सिकुड़कर अंग्रेजी का आठ हुए जा रहे हैं और तुम्हें कोई...

Fri, 05 Jan 2018 11:54 PM