23 साल बाद ठाकरे बंधुओं ने पिछले शनिवार को फिर से मंच साझा किया। इसके बाद से ही राज्य में राजनीतिक समीकरण बनने-बिगड़ने लगे हैं। एक तरफ शिंदे की शिवसेना को वोट बैंक की चिंता सता रही है तो दूसरी तरफ कांग्रेस के बोल भी बदल रहे हैं।
मुजफ्फरनगर में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के खिलाफ हिंदीभाषियों पर हमलों के खिलाफ शिवसेना, क्रांति सेना और युवसेना के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने दोनों नेताओं के पोस्टर को आग के...
महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा, 'रैली आयोजित करने का कोई विरोध नहीं है। जिस मार्ग के लिए अनुमति मांगी गई थी उसके लिए मंजूरी देना मुश्किल था। पुलिस ने उनसे मार्ग बदलने का अनुरोध किया, लेकिन आयोजक एक खास मार्ग पर रैली आयोजित करने पर अड़े रहे।’
उद्धव ने भाजपा पर 'फूट डालो और राज करो की नीति' के जरिये राजनीतिक लाभ हासिल करने का प्रयास करने का आरोप लगाया और कहा कि वह किसी भी भाषा के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन बलपूर्वक इसे थोपे जाने का विरोध करेंगे।
एक नेता बताते हैं, 'कोई भी यहां पहल नहीं कर रहा है, क्योंकि छोटे से कार्यक्रम के लिए भी आपको दिल्ली से इजाजत लेनी पड़ती है। महाराष्ट्र पार्टी नेतृत्व इस बात को लेकर ठोस कदम नहीं उठा पा रही है कि हमें हिंदी विरोधी रुख रखना चाहिए या नहीं। ऐसे में वो बीच में अटके हैं।'
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महाराष्ट्र सरकार द्वारा त्रि-भाषा नीति को वापस लेने के बाद विजय सभा के दौरान उद्धव ने कहा कि हमारी ताकत हमारी एकता में होनी चाहिए। जब भी कोई संकट आता है, हम एक साथ आते हैं और उसके बाद हम फिर आपस में लड़ने लगते हैं।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने हिंदी के खिलाफ उद्धव और राज ठाकरे की विजय रैली का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि हिंदी थोपे जाने का अभियान अब महाराष्ट्र तक पहुंच गया है। स्टालिन ने सोशल मीडिया...
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