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शास्त्रों में बताया गया है कि भक्ति-पूजा के लिए कोई समय निर्धारित नहीं है। यानी ईश्वर का स्मरण या उनकी पूजा अराधना जब चाहे की जा सकती है। हालांकि ऐसी मान्यता है कि भगवान की पूजा के लिए समय का ख्याल...