
Shani Pradosh Vrat: आज धनतेरस है। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर इसे मनाते हैं। वहीं त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत भी रहा जाता है। इस व्रत की पूजा विधि से लेकर तमाम चीजों को विस्तार से जानें। साथ ही जानें कि इस दिन किन चीजों का दान करना शुभ होता है?

हर माह की त्रयोदशी तिथि विशेष महत्व रखती है। इस दिन प्रदोष व्रत किया जाता है। प्रदोष व्रत भगवान शिव की आराधना का दिन है और व्रत रखने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि पर धनतेरस पड़ता है। धनतेरस से ही दीपावली महापर्व की शुरुआत होती है।

Aaj Ka Panchang 18 October 2025, Panchang Today : हिन्दू पंचांग का उपयोग प्राचीन काल से होता आ रहा है। पंचांग शब्द का अर्थ है , पांच अंगो वाला। पंचांग में समय गणना के पांच अंग हैं- वार, तिथि, नक्षत्र, योग और करण। आइए जानते हैं आज के शुभ, अशुभ मुहूर्त…

Shani Pradosh Vrat on Dhanteras 2025: प्रदोष व्रत हर माह में 2 बार पड़ता है। एक शुक्ल पक्ष में और एक बार कृष्ण पक्ष में। यह व्रत त्रयोदशी तिथि में रखा जाता है। जब प्रदोष तिथि शनिवार को हो, तब उसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है।

Dhanteras Shani Upay: इस बार धनतेरस पर शनि त्रयोदशी का दुर्लभ संयोग बन रहा है। मान्यता है कि शनि त्रयोदशी के दिन कुछ उपायों को करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या से पीड़ित राशियों को अशुभ प्रभावों से राहत मिलती है।

धन त्रयोदशी का 18 अक्टूबर को मनाया जाएगा। 18 अक्तूबर(शनिवार) को शनि प्रदोष भी धनतेरस के दिन पड़ रहा है। कार्तिक मास की त्रयोदशी को धनतेरस मनाया जाता है। इस दिन पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र और ब्रह्म योग भी बन रहा है।

Shani Pradosh Vrat : हिंदू धर्म में उपवास और व्रत का विशेष महत्व है। हर महीने आने वाला प्रदोष व्रत भी इन्हीं में से एक है, जिसे भगवान शिव और उनकी कृपा प्राप्ति के लिए रखा जाता है। यह व्रत त्रयोदशी तिथि को आता है और महीने में दो बार पड़ता है।

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Shani trayodashi daan list: शनि त्रयोदशी का दिन भगवान शिव के साथ शनिदेव की कृपा पाने के लिए अति उत्तम माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन कुछ चीजों का दान करने से शनि के अशुभ प्रभाव कम होते हैं।

हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह दो बार प्रदोष व्रत का आयोजन होता है। यह व्रत त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। एक बार कृष्ण पक्ष में और दूसरी बार शुक्ल पक्ष में। जब यह व्रत शनिवार के दिन पड़ता है, तो इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।