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कहत सुनत सब दिन गए, उरझि न सुरझ्या मन, कहि कबीर चेत्या नहीं, अजहुं सो पहला दिन., कबिरा खड़ा बाजार में, मांगे सबकी खैर, ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर. और ऐसे ही न जाने कितने दोहे कहकर लोगों को जीवन...