इस मामले से परिचित लोगों ने बताया कि जयशंकर 14 और 15 जुलाई को एससीओ विदेश मामलों के मंत्रिपरिषद की बैठक के लिए तियानजिन जाने से पहले वांग के साथ द्विपक्षीय बैठक के लिए बीजिंग की यात्रा कर सकते हैं।
जयशंकर ने जोर देकर कहा कि भारत अपनी राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देगा और वैश्विक कूटनीति में संतुलन बनाए रखेगा। भारत ने हाल के वर्षों में रूस से तेल आयात को बढ़ाया है, क्योंकि यह सस्ता और विश्वसनीय स्रोत रहा है।
ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र किए बगैर, जिसमें भारत ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में 9 आतंकी ठिकानों पर हमला किया था, जयशंकर ने कहा कि भारत को आतंकवाद के खिलाफ अपने लोगों की रक्षा करने का पूरा अधिकार है।
किसी देश के व्यापार, निवेश या वित्तीय लेन-देन पर रोक लगाना इसका सबसे प्रमुख तरीका है। जैसे रूस पर अमेरिका और यूरोप द्वारा लगाए गए प्रतिबंध। इसके अलावा किसी देश से आयात-निर्यात पर पूर्ण या आंशिक रोक। अपनी मुद्रा को जानबूझकर सस्ता करके दूसरे देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाना भी इसमें शामिल है।
जयशंकर ने कहा, 'इस विशेष मामले में मैं आपको बता सकता हूं कि मैं उस कक्ष में मौजूद था जब उपराष्ट्रपति (जेडी) वेंस ने नौ मई की रात को प्रधानमंत्री (नरेन्द्र) मोदी से बात की थी और कहा था कि अगर हमने कुछ बातें नहीं मानीं तो पाकिस्तान भारत पर बहुत बड़ा हमला करेगा।'
जुलाई में मिलने वाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएसी) की अध्यक्षता के बाद पाकिस्तान विक्टिम कार्ड खेलने की मंशा पाले हुए है। वहीं, भारत पाकिस्तान के अरमानों पर पानी फेरने की तैयारी में है।
SCO सम्मलेन में हिस्सा लेने पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को वहां पेश किए गए दस्तावेजों पर दस्तखत करने से इनकार कर दिया है। रक्षा मंत्री ने जिन दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने से इनकार किया उनमें पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र नहीं था।
विदेश मंत्री से एक रणनीतिक विशेषज्ञ के साथ बातचीत में पिछले 11 वर्षों में अमेरिका और चीन के रुख में आए बदलावों के बारे में भी पूछा गया और पूछा गया कि नयी दिल्ली इस बदलाव को कैसे देखती है।
Jaishankar: फ्रांस की यात्रा पर गए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि फ्रांस कई मायनों में भारत का सबसे विश्वसनीय साझेदार है। उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए घटनाक्रम में किन देशों ने कैसा व्यवहार किया उसका असर भारत के आगामी फैसलों पर निश्चित तौर पर होगा।
जयशंकर के बयानों से स्पष्ट है कि भारत का रुख व्यक्तिगत नेतृत्व से अधिक राष्ट्रीय हितों पर आधारित है। उन्होंने यूरोपीय देशों को आतंकवाद के प्रति उदासीनता के खिलाफ चेतावनी भी दी।