
इस मंच की स्थापना 2015 में उज़्बेकिस्तान के समरकंद में अपनी पहली बैठक में हुई थी, जब छह देशों के विदेश मंत्रियों ने व्यापार, परिवहन, ऊर्जा और संचार के क्षेत्र में आपसी सहयोग मजबूत करने का संकल्प लिया था।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पुतिन को साफ शब्दों में कहा था कि रूसी राष्ट्रपति को मिसाइल टेस्ट करने की बजाय यूक्रेन युद्ध को खत्म करने पर ध्यान देना चाहिए। हालांकि पुतिन पर ट्रंप की इस सलाह का कोई असर नहीं नजर आया।
अमेरिका द्वारा दो प्रमुख रूसी तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने के फैसले पर पेसकोव ने ट्रंप प्रशासन की आलोचना की। उन्होंने कहा कि रूस अमेरिका सहित सभी देशों के साथ दोस्ताना संबंध बनाना चाहता है।

CNN की रिपोर्ट में कहा गया है कि ढाई घंटे की बातचीत में पुतिन ने ट्रंप से जोर देकर कहा कि टॉमहॉक मिसाइलें, युद्ध के मैदान पर कोई खास असर नहीं डालेंगे। उन्होंने आगे कहा कि ये सिर्फ अमेरिका-रूस संबंधों को नुकसान पहुँचाएँगे।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि लगातार यही प्राथमिकता रही है कि उथल-पुथल भरे बाजार में भारतीय उपभोक्ताओं को हितों को साधा जाए। हमारी इंपोर्ट की पॉलिसी पूरी तरह इसी उद्देश्य पर आधारित है। हम किसी अन्य कारक से प्रभावित होकर फैसले नहीं लेते। भारत सरकार का यह जवाब डोनाल्ड ट्रंप की बात पर आया है।

डोनाल्ड ट्रंप ने व्लादिमीर पुतिन पर तंज भी कसा और कहा कि उन्हें अब रूसियों और यूक्रेनियों का कत्ल कराना बंद कर देना चाहिए। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उन्हें तो इस जंग को एक सप्ताह के अंदर जीत जाना चाहिए था, लेकिन आज चौथा साल लग गया है।

पुतिन का एजेंडा आर्कटिक समझौते के साथ भारत-रूस संबंधों को नया आयाम देगा। यह न केवल आर्थिक वृद्धि का इंजन बनेगा, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की आवाज को मजबूत करेगा और चीन को साधने का काम भी होगा।

टस्क ने कहा कि मेरा कहना है कि वे लड़ने के लिए तैयार हैं। वे बलिदान के लिए तैयार रहते हैं और वे किसी भी अंजाम का सामना करने के लिए भी रेडी हैं। रशिया टुडे के मुताबित टस्क ने कहा कि मनोवैज्ञानिक बढ़त रूस ने बना रखी है। पश्चिमी देशों के मुकाबले रूस का नेतृत्व भी मजबूत और निर्णायक है।

अमेरिका से टैरिफ वॉर के बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी सरकार को आदेश दिया है कि व्यापार असंतुलन दूर करने के लिए भारत से आयात बढ़ाया जाए।

जिस ड्रोन वॉल की बात की जा रही है, वह ऐंटी ड्रोन तकनीकों का तैनात होना है। ऐसी तकनीक से ड्रोन्स की एंट्री पर सिस्टम तुरंत अलर्ट होगा और उन्हें माकूल जवाब दिया जाएगा। यूरोपियन यूनियन के किसी भी हिस्से में रूसी या अन्य किसी देश के ड्रोन्स को तत्काल इंटरसेप्ट करने में इससे मदद मिलेगी।