दर बदर ठोकरें खाईं तो ये मालूम हुआ, घर किसे कहते हैं क्या चीज है बेघर होना। शायर सलीम अहमद का यह शेर उन मजदूरों पर सटीक बैठता है जो अर्से बाद सही, पर घर लौटे हैं। महाराष्ट्र से अपने गांव लौटकर आए हर...
Sat, 09 May 2020 05:22 PMकेरल से लौटे मजदूर लॉकडाउन के दौरान बिताए गए 40 दिनों को याद करके सिहर जाते हैं। कई मजदूरों ने कहा कि अब गांव में रहकर खेती कर लेंगे लेकिन बाहर कमाने नहीं जाएंगे। कोरोना का ऐसा डर मन में बैठा था कि...
Mon, 04 May 2020 06:40 PM