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उस साल, यानी 2010 में अचानक एक याद बन गया गिर्दा (गिरीश चंद्र तिवारी)। इतवार, 22 अगस्त का दिन था। 12 बजे के आसपास मोबाइल फोन कुनमुनाया। देखा, लखनऊ से नवीन का एक संक्षिप्त एसएमएस था- ‘हमारे...