सीएम नीतीश कुमार की अध्यक्षता में बुधवार को बिहार कैबिनेट की बैठक आयोजित की गई। इसमें अलग-अलग विभागों के कुल 38 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।
तेजस्वी यादव ने कहा कि नीतीश कुमार के बेटे निशांत अगर राजनीति में आते हैं, तो वह जेडीयू को बचा लेंगे। लेकिन, नीतीश कैबिनेट के कुछ मंत्री उन्हें पॉलिटिक्स में आने से रोकने के लिए बैठकें कर रहे हैं।
बिहार चुनाव से कुछ महीनों पहले नीतीश कैबिनेट में हुए फेरबदल को एनडीए सरकार के मेक-ओवर के रूप में देखा जा रहा है। कई मंत्रियों के विभाग बदलकर उन्हें नई जिम्मेदारी दी गई है। वहीं, कुछ के विभागों में कटौती की गई है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनाव से पहले कैबिनेट के विस्तार के बाद नए मंत्रियों के बीच विभाग बांट दिए हैं। कई पुराने मंत्रियों के विभाग बदले गए हैं और कुछ के विभाग कम भी किए गए हैं।
नए कैबिनेट में सात नए मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ राजभवन में ली थी। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने इन नए मंत्रियों को शपथ दिलाई थी। अब नए मंत्रियों को उनकी जिम्मेदारी सौंप दी गई है।
नीतीश कैबिनेट का 36 का कोटा पहली बार फुल हो गया है। हालिया कैबिनेट विस्तार के बाद बिहार में जेडीयू की तुलना में बीजेपी के मंत्रियों की संख्या डेढ़ गुना हो गई है।
मुकेश सहनी की पार्टी ने राजू सिंह को बिहार का मंत्री बनाए जाने पर सवाल खड़े किए। वीआईपी ने आरोप लगाया कि एक मंत्री पद के लिए उन्होंने पार्टी तोड़ दी थी।
लालू यादव की पार्टी राजद ने कहा कि बिहार में जेडीयू को महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के रास्ते ले जाने की कवायद है। नीतीश कैबिनेट विस्तार में सिर्फ भाजपा के कोटे से मंत्री बनाए गए।
बिहारशरीफ से बीजेपी विधायक सुनील कुमार को नीतीश कैबिनेट में जगह मिली है। वह डॉक्टर रह चुके हैं। इसके अलावा भोजपुरी फिल्में भी बना चुके हैं।
बीजेपी ने 7 में से 4 नए मंत्री उत्तर बिहार से बनाए हैं। अकेले मिथिला क्षेत्र से 3 नेताओं को नीतीश कैबिनेट में शामिल किया गया है। विधानसभा चुनाव से पहले हुए कैबिनेट विस्तार में इस क्षेत्र को तरजीह दी गई है।