सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार इस ऐक्ट के माध्यम से वक्फ की संपत्तियां ही कब्जा कराना चाहती है। उन्होंने कहा कि वक्फ का अर्थ अल्लाह के लिए समर्पण से है। यदि कोई वक्फ में अपनी संपत्ति देता है तो वह एक तरह से अल्लाह के लिए दान है और उसका इस्तेमाल नहीं बदला जा सकता।
सुप्रीम पावर वाली बहस पर कपिल सिब्बल ने ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, 'ना ही संसद और ना ही कार्यपालिका सुप्रीम है। संविधान ही सुप्रीम है। संविधान के प्रावधानों की ही सुप्रीम कोर्ट ने व्याख्या की है। यही कानून है, जो अब तक देश ने समझा है।'
कपिल सिब्बल ने उपराष्ट्रपति धनखड़ पर पलटवार करते हुए कहा कि आपने कह दिया कि आर्टिकल 142 न्यूक्लियर मिसाइल है, यह कैसे कह सकते हैं? आपको पता है कि आर्टिकल-142 द्वारा सुप्रीम कोर्ट को संविधान ने हक दिया है ना कि किसी सरकार ने, ताकि न्याय हो।
कपिल सिब्बल ने ऐक्ट पर सवाल उठाए हैं और कहा कि वक्फ बोर्ड में हिंदुओं की एंट्री कर दी गई है, यह संविधान के आर्टिकल 26 का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि आर्टिकल 26 धार्मिक संस्थानों के संचालन की स्वायत्तता देता है। अब नया वक्फ ऐक्ट उस स्वायत्तता को छीनने वाला है।