प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘भारत के लाखों नागरिकों को ‘अछूत’ कहा जाता था। उन्हें बताया जाता था कि वे अपवित्र हैं। उन्हें बताया जाता था कि वे अपने लिए नहीं बोल सकते। लेकिन आज हम यहां हैं, जहां उन्हीं लोगों से संबंधित एक व्यक्ति देश की न्यायपालिका में सर्वोच्च पद धारक के रूप में खुलकर बोल रहा है।'
CJI गवई ने डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों को उदाहरण के तौर पर पेश करते हुए कहा कि लोकतंत्र तभी टिकाऊ होता है जब सत्ता केवल संस्थाओं के बीच ही नहीं, बल्कि समुदायों के बीच भी वितरित हो।
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में 'न्याय तक पहुंच में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी की भूमिका' विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समाज के निचले पायदान पर खड़े लोगों तक भी तकनीकि सुलभ होनी चाहिए।
चीफ जस्टिस गवई ने कहा कि चिंता की बात यह है कि कई बार अदालत की सुनवाई में कही गई बातों को गलत ढंग से पेश किया जाता है। उन्होंने कहा कि जब से कोर्ट की सुनवाई वर्चुअल माध्यमों पर दिखने लगी है, तब से ऐसी चीजों में इजाफा हुआ है।
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि जब भी भ्रष्टाचार और कदाचार के ये मामले सामने आए हैं, उच्चतम न्यायालय ने लगातार कदाचार को दूर करने के लिए तत्काल और उचित उपाय किए हैं।
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि न्यायमूर्ति सैयद जफर इमाम को 1964 में खराब स्वास्थ्य के कारण मुख्य न्यायाधीश नहीं बनाया गया और पंडित नेहरू की सरकार ने न्यायमूर्ति पीबी गजेंद्रगढ़कर को यह पद सौंपा।
देश के मुख्य न्यायधीश जस्टिस गवई ने एक कार्यक्रम में न्यायपालिका और जनता के बीच विश्वास बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया है। उन्होंने कहा है कि ऐसे मामले सामने आने से लोगों का भरोसा डगमगा जाता है।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई ने शनिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के नवनिर्मित अधिवक्ता चैंबर्स व मल्टीलेवल पार्किंग का उद्घाटन किया। इस मौके पर कहा कि बार और बेंच को मिलकर काम करना होगा।
ज्यसभा में यदि 50 या उससे ज्यादा सदस्य महाभियोग प्रस्ताव लाने का समर्थन करें तभी उसे पेश किया जाता है। इसी तरह लोकसभा में कम से कम 100 सांसदों की मांग पर ही ऐसा प्रस्ताव आता है। दोनों ही सदनों में सरकार के पास बहुमत है।
तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने पीएम और राष्ट्रपति को रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट में उनके खिलाफ महाभियोग की सिफारिश की गई है। अब चर्चा है कि सरकार संसद के आने वाले मॉनसून सेशन में कोई प्रस्ताव ला सकती है। एनडीए के पास बहुमत है। फिर भी सरकार चाहेगी कि विपक्ष को भी इसाथ लिया जाए।