
पांच साल बाद दोनों देशों के बीच उड़ानों का संचालन फिर से शुरू होने के बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि यह दोनों देशों के बीच बनी सहमति को लागू करने की दिशा में नवीनतम प्रगति है।

पिछले एक दशक में, भारत ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में 1,700 किलोमीटर रेल लाइनों का निर्माण किया है। नई परियोजना का उद्देश्य सैन्य टुकड़ियों की तैनाती के समय को कम करना और रसद की गहराई को मजबूत करना है।

जनरल चौहान ने कहा कि परमाणु हथियारों से लैस दो दुश्मनों से उत्पन्न खतरों से निपटना भारत के सामने एक और बड़ी चुनौती है, क्योंकि उसे किसी भी तरह के पारंपरिक युद्ध के लिए तैयार रहना होगा।

सीधी उड़ानों की बहाली से दोनों देशों के बीच व्यापार, पर्यटन और शैक्षिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। भारतीय छात्र, व्यापारी और पेशेवर वर्तमान में दक्षिण-पूर्व एशिया या मध्य पूर्व के माध्यम से यात्रा करते हैं।

यह रेलवे लाइन न सिर्फ अक्साई चिन के विवादित क्षेत्र से गुजरेगी, बल्कि LAC के बेहद करीब होगी। इसका मतलब है कि चीन सीमावर्ती इलाकों में सैनिकों और हथियारों की तैनाती पहले से कहीं तेज और बड़े पैमाने पर कर सकेगा।

चीन पर लगाम लगाने के लिए भारत ने बड़ी तैयारी शुरू कर दी है। इसके तहत पूर्वी लद्दाख में 255 किमी की सड़क को अपग्रेड किया जा रहा है। सड़क के अपग्रेड होने के बाद इस पर भारी वाहन भी आसानी से चल सकेंगे। इसके अलावा टैंकों और लंबी दूरी की मिसाइल ढोने में सक्षम विशेष ट्रक भी इस सड़क पर दौड़ेंगे।

भारत और रूस मिलकर जल्द ही ब्रह्मोस हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने वाले हैं। यह मिसाइल आवाज से भी 8 गुना तेजी से वार करने में सक्षम होगी। दुनिया के एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम भी इसके आगे पानी भरेंगे।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत और चीने के बीच सीमा निर्धारण और शांति बनाए रखने को लेकर सहमति बन गई है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों में सीमा विवाद काफी जटिल है और इसे सुलझाने में लंबा समय लग सकता है।

पिछले कुछ महीनों में दोनों पक्षों ने डी-एस्केलेशन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। अक्टूबर 2024 में सैन्य वापसी को लेकर एक समझौता हुआ था, जिसके बाद डेमचोक और डेपसांग जैसे क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी शुरू हुई।

India Pakistan tension: भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर के बाद NSA अजित डोवाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच में बातचीत हुई है। इसमें डोवाल ने साफतौर पर कहा कि युद्ध भारत की पसंद नहीं है। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत की आतंकियों पर कार्रवाई अनिवार्य थी।