लॉकडाउन : काम की तलाश में घर को तन्हा छोड़ गए थे, अब अपनों के पड़े कदम तो सूने आंगन हो रहे गुलजार
जब गए थे तो कमाने चिंता थी, अब अपना घर सजाने की। दीवारें दरक रही हैं, छप्पर ढह चुके हैं। दरवाजे पर रखा चूल्हा मुंह चिढ़ा रहा है। धूल के गुबार के बीच अब पहली परीक्षा अपने आशियानें को संवारने की है।...
Sun, 17 May 2020 07:58 PM