
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र, अभिभावक और शिक्षक अब एक ही प्लैटफॉर्म पर जुड़ सकते हैं। दिल्ली सरकार ने शिक्षा और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को अत्याधुनिक तकनीक से जोड़ते हुए स्कूल वेब ऐप लॉन्च किया है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने राजधानी में दो सरकारी स्कूलों का संचालन बगैर प्रिंसिपल के होने पर नाराजगी जाहिर की है। हाईकोर्ट ने कहा कि बिना मुखिया के जैसे परिवार चलाना असंभव है, उसी तरह बगैर प्रिंसिपल के सरकारी स्कूलों का संचालन संभव नहीं है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को उसके द्वारा दाखिल हलफनामे पर आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यदि अच्छे परिणाम टिनशेड वाले स्कूल को जारी रखने का औचित्य है, तो सभी स्कूलों को टिनशेड में परिवर्तित कर दिया जाना चाहिए।

दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को दिल्ली सरकार जेईई, नीट और सीयूईटी सहित अलग-अलग परीक्षाओं की तैयारी कराएगी। शिक्षा निदेशालय ने सर्कुलर में कहा है कि प्रवेश परीक्षाएं 12 अक्टूबर से 26 अक्टूबर के बीच सरकारी स्कूलों में आयोजित की जाएंगी।

दिल्ली में शिक्षा निदेशालय की ओर से सरकारी स्कूलों में किए गए एक सर्वे में हैरान और परेशान करने वाले खुलासे हुए हैं। सर्वे के मुताबिक, दिल्ली के कई सरकारी स्कूल स्मार्ट क्लास रूम तो दूर बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित हैं।

राजधानी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले लगभग 8 लाख छात्रों का निपुण भारत कार्यक्रम के तहत विषयवार आकलन किया जाएगा। दिल्ली सरकार इस पहल के तहत छात्रों में पढ़ने की क्षमता की पहचान कर उन्हें प्रोत्साहित करेगी।

Delhi CM Shri School Admission 2025: दिल्ली सरकार के 33 सीएमश्री स्कूलों में कक्षा 6,7 और 8वीं के लिए एडमिशन प्रक्रिया आज से शुरू होने जा रही है। 15 अगस्त तक edudel.nic पर जाकर आवेदन करना होगा। चयन प्रवेश परीक्षा के आधार पर किया जाएगा।

दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में कक्षा-9 और कक्षा-11 में 60 फीसदी से कम उत्तीर्ण अंक वाले यानी खराब परफॉरमेंस देने वाले 56 स्कूलों की पहचान की है। अब इन खराब प्रदर्शन करने वाले स्कूलों का क्या होगा?

दिल्ली सरकार ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) की शौर्य गाथा को जल्द स्कूल के पाठ्यक्रम का हिस्सा बना सकती है। शिक्षाविदों और विषय के विशेषज्ञों से इसके प्रारूप पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। साथ ही, उनसे सुझाव मांगे गए हैं।

दिल्ली में स्कूल छोड़ने और विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की अब हर माह पहचान की जाएगी। शिक्षा विभाग इसके लिए घर-घर जाकर सर्वे करेगा। यह पहली बार है कि ऐसे छात्रों की पहचान के लिए आरडब्ल्यूए की मदद ली जाएगी। इसके लिए 150 से अधिक टीमें गठित की गई हैं।