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Manpreet Singh Interview: कप्तान बोले- क्रिकेट जीते या हॉकी, बस भारत का झंडा बुलंद होना चाहिए 

Manpreet Singh Interview: हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह लाइव हिंदुस्तान के साथ बातचीत में क्रिकेट बनाम हॉकी के सवाल पर कहा कि क्रिकेट जीते या हॉकी, बस भारत का झंडा बुलंद होना चाहिए।

Manpreet Singh Interview: कप्तान बोले- क्रिकेट जीते या हॉकी, बस भारत का झंडा बुलंद होना चाहिए 
Vikash Gaurविकाश गौड़,नई दिल्लीThu, 14 Jul 2022 11:57 AM
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मेजर ध्यानचंद खेल रत्न सम्मानित और भारतीय पुरुष हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है कि हम क्रिकेट बनाम हॉकी करें। हम चाहते हैं कि क्रिकेट टीम जीते या फिर हॉकी टीम, बस भारत का झंडा बुलंद होना चाहिए। मनप्रीत सिंह ने बर्मिंघम में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 को लेकर लाइव हिंदुस्तान से बात करते हुए कई मुद्दों पर खेल पत्रकार विकाश गौड़ के साथ चर्चा की। इस दौरान उन्होंने बताया कि टीम की तैयारी कैसी चल रही है और क्रिकेट बनाम हॉकी पर उनकी राय क्या है? पेश हैं उसके प्रमुख अंश...   

सबसे पहले तो आपको अग्रिम बधाई कि आप 300वां मैच खेलने जा रहे हैं, इसको लेकर फीलिंग कैसी है? 

धन्यवाद, अच्छा लग रहा है कि देश के लिए इतना आगे तक जा रहा हूं और 300वां मैच खेलने जा रहा हूं। आपको गर्व महसूस होता है जब आप अपनी नेशनल टीम के लिए इतने मैच खेलते हैं। चाहता हूं कि हर मैच में 100 फीसदी दूं।

क्या कोई खास तैयारी इस मैच के लिए आप करेंगे? 

कोई खास तैयारी नहीं है। जो गेम प्लान है, उसी के अनुसार तैयारी होगी। 

बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के लिए टीम की तैयारी कैसी चल रही है?

टीम की ट्रेनिंग अच्छी चल रही है। हम लोग 24 को यूके के लिए रवाना होंगे। 
 
CWG में पूल बी में भारत के साथ इंग्लैंड, कनाडा, वेल्स और घाना की टीमें हैं, पूल ए के मुकाबले कहा जा सकता है कि ये आसान ग्रुप है?   

नहीं, ऐसा नहीं है। दरअसल, हमारा मानना है कि किसी भी टीम को कमतर नहीं आंकना चाहिए। पता नहीं कब कौन सी टीम आपको सरप्राइज कर दे। हम घाना के साथ भी खेल रहे हैं तो हम चाहते हैं कि हम हर मैच में अपना बेस्ट दें। 2018 की बात है, जब हमें वेल्स से खेलना पड़ा था और हमको जीत के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी थी। हमने एशियन चैंपियनशिप में भी देखा है कि कम रैंकिंग वाली टीम भी आपको हरा सकती हैं। हालांकि, हम चाहते हैं कि हम पूल टॉप करें, जिसका फायदा होता है।    

इस साल हॉकी टीम का प्रदर्शन नपा तुला रहा है। एशिया कप में ब्रॉन्ज मेडल, प्रो लीग में 16 में से 8 मुकाबले जीते तो क्या पिछली बातें टीम के जेहन में रहती हैं?

नहीं सर, एशिया कप की बात करें तो हम नए खिलाड़ियों के साथ खेले थे। इंडिया ए के ज्यादातर खिलाड़ी थे। प्रो लीग के मुकाबलों की बात करें तो हमने बेल्जियम और नीदरलैंड जैसी टीमों के खिलाफ मुकाबले जीते हैं। जो फ्रांस का मैच था, उसमें हमने आखिर तक परेशान किया, लेकिन ओवरऑल देखा जाए तो टीम का प्रदर्शन अच्छा था। कॉमनवेल्थ के गेम्स में उतरने से पहले हम चाहते हैं कि हम पुरानी गलतियों से सीखें और अच्छा प्रदर्शन करें। 

भारत ने कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल नहीं जीता है तो क्या इस बार भारत इस सूखे को समाप्त कर पाएगा?

निश्चित रूप से हम पूरी कोशिश करेंगे कि हम लोग गोल्ड जीतें। हर चीज को अचीव करने के लिए एक प्रोसेस होता है और आप स्टेप बाय स्टेप ऊपर जाते हैं। आप गोल्ड तभी जीत सकते हैं, जब आप पहला मैच, दूसरा मैच और फिर आगे खेलते जाएं और कोशिश की जाए कि टूर्नामेंट में कंसिस्टेंट रहें और आगे तक जाएं। फोकस इसके ऊपर भी है कि प्लेयर्स कंसिस्टेंट रहें।

एशियन गेम्स के अलावा आपने अभी तक किसी मल्टी नेशन इवेंट में गोल्ड नहीं जीता है क्या आपको मलाल नहीं होता कि इतने लंबे करियर में अब तक बड़े टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल जीत जाना चाहिए था।
 
निजी तौर पर कभी ऐसा नहीं लगता कि मैंने गोल्ड मेडल नहीं जीता। ये एक टीम गेम है, तो सभी का लक्ष्य यही है कि टीम जीते, क्योंकि मैं अकेला कुछ करना चाहूं तो कुछ नहीं कर सकता, बिना टीम के। इसलिए सभी का साथ होना जरूरी है। हम अपना 100 पर्सेंट दे रहे हैं और हर एक चीज को हासिल करने के लिए टाइम लगता है। अभी जो परफॉर्मेंस है, धीरे-धीरे अच्छी हो रही है। प्लेयर्स का कॉन्फिडेंस लेवल काफी अच्छा है। इस बार यही उम्मीद है कि हम गोल्ड मेडल जीतें। 

अपने करियर को कैसे देखते हैं, काफी फिट हैं तो कितने समय और खेलना पसंद करेंगे? 

हमेशा अपने आप को फिट रखने की कोशिश होती है। कोशिश की जाती है कि इंजरी से दूर रहा जाए। मेरी जर्नी अच्छी रही है और काफी कुछ सीखने को मिला है। शुरुआत में काफी चीजें अच्छी नहीं रहीं, लेकिन इसके बाद से चीजें अच्छी रही हैं। टीम का परफॉर्मेंस भी ऊपर गया है और निजी तौर पर मेरा प्रदर्शन भी ऊपर गया है। 

क्रिकेट बनाम हॉकी, आपको क्या लगता है कि युवाओं का ध्यान हॉकी की तरफ नहीं है या फिर हॉकी टीम को अपने खेल के स्टैंडर्ड को ऊपर लाना चाहिए? 

देखिए, हम भी क्रिकेट देखते हैं। बहुत लोग हैं, जो हॉकी खेलते हैं। अगर ओलिंपिक की बात की जाए तो हर कोई चाहता था कि हॉकी में मेडल आए, मेडल आए...लेकिन अब जब लंबे समय के बाद मेडल आया है तो बहुत कुछ बदल रहा है। अब पेरेंट्स चाहते हैं कि उनका बेटा या बेटी हॉकी खेले। हमारे पंजाब में बहुत चीजें बदल गई हैं। बहुत युवा खिलाड़ी हॉकी खेलना चाहते हैं। भविष्य में भी बहुत बदलाव होंगे। हॉकी बनाम क्रिकेट में ऐसा कुछ नहीं है। हम चाहते हैं कि क्रिकेट टीम जीते या हॉकी टीम जीते, बस भारत का झंडा बुलंद हो।

अगले 10 साल में आप हॉकी को कहां देखना पसंद करेंगे? 

हम चाहते हैं कि हॉकी में हमारी वर्ल्ड रैंकिंग नंबर वन हो। हम और भी ज्यादा अच्छा प्रदर्शन करें। हमारे प्लेयर्स और युवा प्लेयर्स अच्छा कर रहे हैं। हम आने वाले 10 सालों में देखेंगे कि हॉकी का विकास होगा।  

टीम का सबसे शरारती खिलाड़ी कौन है? 

सभी शरारती हैं, लेकिन मुख्य रूप से सिमरनजीत और दिलप्रीत है

मैच टाइम में कौन खिलाड़ी मूड लाइट करता है? 

शमशेर सिंह

कौन सा खिलाड़ी सबसे ज्यादा सोता है? 

सिमरनजीत, हार्दिक, हरमनप्रीत, रोहिदास, बहुत खिलाड़ी हैं।

कौन सा खिलाड़ी सबसे ज्यादा जिम में पाया जाता है?

आकाशदीप सिंह 
 
कौन से खिलाड़़ी को चीजें भूलने की आदत है? 

सिमरनजीत सिंह 

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