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कोरोना काल में जानिए, क्या है ब्राजील-अर्जेंटीना और इंग्लैंड में फुटबॉल का हाल

कोरोना वायरस महामारी के दौरान खेल शुरू करने को लेकर चल रहे विरोध के बावजूद ब्राजील में तीन महीने के बाद रियो लीग के जरिये फुटबॉल की वापसी होगी। रियो डि जेनेरियो की फुटबॉल संस्था ने कहा है कि...

कोरोना काल में जानिए, क्या है ब्राजील-अर्जेंटीना और इंग्लैंड में फुटबॉल का हाल
एजेंसी,नई दिल्लीThu, 18 Jun 2020 02:35 PM
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कोरोना वायरस महामारी के दौरान खेल शुरू करने को लेकर चल रहे विरोध के बावजूद ब्राजील में तीन महीने के बाद रियो लीग के जरिये फुटबॉल की वापसी होगी। रियो डि जेनेरियो की फुटबॉल संस्था ने कहा है कि फ्लेमेंगो और बांगु के बीच गुरुवार को मरकाना के खाली स्टेडियम में रियो लीग का पहला मैच खेला जाएगा। इसके बाद वास्को डि गामा और मैकी के बीच रविवार को मैच होगा। इसे ब्राजीली राष्ट्रपति जैर बोलसोनारो और फ्लेमेंगो की जीत के रूप में देखा जा रहा है जो देश में महामारी के प्रकोप के बावजूद फुटबॉल की वापसी के लिए मुहिम छेड़े हुए थे। 

रियो फुटबॉल संघ ने जब लीग का कार्यक्रम घोषित किया तब फ्लेमेंगो क्लब के अध्यक्ष रोडोल्फो लैंडिम राजधानी ब्राजीलिया में बोलसोनारो के साथ ही थे। ब्राजील में कोविड-19 के कारण अभी तक 45,000 से अधिक लोगों की मौत हुई है और स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि अभी यह महामारी अपने चरम पर नहीं पहुंची है। रियो प्रांत में ही 8,000 से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवायी है।  

इंग्लैंडवासियों के चेहरों पर फुटबॉल के साथ लौटेगी मुस्कुराहटें
दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे लंबे निलंबन के बाद आखिरकर इंग्लैंड में उसके पसंदीदा खेल फुटबॉल की वापसी होने जा रही है जिससे कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे देशवासियों को मुस्कुराने की एक वजह भी मिल जाएगी। दुनिया की सबसे महंगी फुटबॉल लीग प्रीमियर लीग 13 मार्च को बीच में रोक दी गई थी जब आर्सनल के मैनेजर मिकेल अर्टेटा को पॉजिटिव पाया गया। पूरी दुनिया की तरह 23 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा नहीं करने और स्वास्थ्यकर्मियों को जरूरी रक्षात्मक उपकरण नहीं देने के लिए प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की सरकार की काफी आलोचना हुई। जॉनसन खुद संक्रमण का शिकार हो गए थे। ब्रिटेन में कोरोना महामारी से 42000 से ज्यादा मौतें हो चुकी है।

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अभी भी हर सप्ताह सैकड़ों मौते हो रही हैं, लेकिन यहां लॉकडाउन में ढील दी गई है। लंबी योजनाओं के बाद प्रीमियर लीग फिर शुरू होने जा रही है लेकिन मैदानों पर दर्शक नहीं होंगे। पहला मैच बर्मिंघम के क्लब एस्टोन विला और शेफील्ड युनाइटेड के बीच खेला जायेगा जिसके बाद मैनचेस्टर सिटी और आर्सनल की टक्कर होगी। 

अर्जेंटीना के गरीब फुटबॉलरों के सपने महामारी ने तोड़े
मुफलिसी में पले-बढ़े अर्जेंटीना के इन युवाओं के लिए उम्मीद की किरण थी तो बस फुटबॉल। अभावों के बीच अभ्यास में इन्होंने भविष्य का लियोनेल मेस्सी या कार्लोस टेवेज बनने का सपना संजोया लेकिन कोरोना वायरस महामारी ने इनकी उम्मीदों पर मानों तुषारापात कर दिया।  यहां फोर्ट अपाचे के अपार्टमेंट ब्लॉक के बाहर कार्लोस टेवेज का भित्तिचित्र और उसके नीचे लिखा वाक्य ' मैं उस जगह से आया हूं जहां कामयाब होना नामुमकिन माना जाता है, इन युवा फुटबॉलरों के लिए संजीवनी की भांति रहा है।

 टेवेज ब्यूनस आयर्स के सबसे गरीब इलाके से निकलकर दूसरी श्रेणी के क्लब अलमाग्रो तक पहुंचे। 16 बरस के आसपास के तमाम फुटबॉलरों के लिए उनकी कामयाबी मील का पत्थर बन गई लेकिन फिर कोरोना वायरस ने दुनिया में दस्तक दी। पिछले 80 दिन से यहां कोई खेल नहीं हुआ है और ना ही भविष्य में जल्दी होने की संभावना है। ऐसे में अर्जेंटीना के गरीब इलाकों से निकले फुटबॉलरों की बेहतर जिंदगी की एकमात्र उम्मीद भी छिनती नजर आ रही है।

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एक फुटबॉलर ने कहा, ''इस महामारी ने सब कुछ छीन लिया। यह भयावह है। हम घर में बैठे हुए हैं।'' ब्राजील, चिली या पेरू जैसे बाकी लातिन अमेरिकी देशों की तरह तबाही का मंजर अर्जेंटीना में नहीं दिखा लेकिन फुटबॉल के दीवाने इस देश में महामारी के दूरगामी दुष्प्रभाव युवा फुटबॉलरों के कैरियर पर जरूर दिख रहे हैं। इनमें से कइयों ने फुटबॉल छोड़ने का मन बना लिया तो कई ड्रग्स या शराब की लत के शिकार हो रहे हैं।''

कई खतरनाक अवैध खेलों में शामिल हो गए हैं जो फुटबॉल मैदानों के पास रहने वाले खिलाड़ियों और दर्शकों के बीच इस समय लोकप्रिय है। सांता क्लारा क्लब के अध्यक्ष डेनियल लोपेज ने कहा ,'' सड़क पर यह सब दिख रहा है।बच्चों ने यहां शरण ली थी पर अब नहीं रह सकते। इस क्लब में 170 लड़के लड़कियां प्रशिक्षण ले रहे थे लेकिन अब इस क्लब को किचन में बदल दिया गया है जहां गरीबों के लिए खाना पकता है।

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