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Tokyo Olympics: सिल्वर मेडल से संतुष्ट नहीं हैं रवि दहिया, कहा- पेरिस ओलंपिक में पूरा करूंगा गोल्ड का सपना

टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए रेसलिंग में सिल्वर मेडल जीतने वाले रेसलर रवि दहिया अपने प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं है। रवि ने कहा है कि वह टोक्यो सिल्वर मेडल के लिए नहीं आए थे और पेरिस ओलंपिक में अपने...

Tokyo Olympics: सिल्वर मेडल से संतुष्ट नहीं हैं रवि दहिया, कहा- पेरिस ओलंपिक में पूरा करूंगा गोल्ड का सपना
एजेंसी,नई दिल्लीThu, 05 Aug 2021 09:49 PM

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टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए रेसलिंग में सिल्वर मेडल जीतने वाले रेसलर रवि दहिया अपने प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं है। रवि ने कहा है कि वह टोक्यो सिल्वर मेडल के लिए नहीं आए थे और पेरिस ओलंपिक में अपने गोल्ड मेडल जीतने के सपने को साकार करेंगे। रवि को फाइनल मुकाबले में रूस के पहलवान जवूर उगुएव के हाथों 57 किलोग्राम वर्ग के फ्रीस्टाइल कैटेगरी में हार का सामना करना पड़ा। भारतीय पहलवान ने रूस के खिलाड़ी को कड़ी टक्कर दी, लेकिन पहले ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने का उनका सपना अधूरा रह गया। 

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रवि ने पीटीआई के साथ बातचीत करते हुए कहा, 'मैं सिल्वर मेडल के लिए टोक्यो नहीं आया था। इससे मुझे संतुष्टि नहीं मिलेगी। शायद इस बार मैं सिल्वर का ही हकदार था क्योंकि युगुएव आज बेहतर पहलवान थे। मैं जो चाहता था, वह हासिल नहीं कर पाया। उनकी शैली बहुत अच्छी थी। मैं अपने हिसाब से कुश्ती नहीं लड़ पाया। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या कर सकता हूं। उसने बहुत चतुरता से कुश्ती लड़ी।' दहिया से जब पूछा गया कि उनका सिल्वर मेडल भारतीय कुश्ती के लिए क्या मायने रखता है तो वह उत्साहित हो गए। उन्होंने कहा,  'वो तो ठीक है लेकिन रजत पदक लेकर चुप नहीं बैठ सकता। मुझे अपनी एकाग्रता बनाए रखनी होगी और अपनी तकनीक पर काम करना होगा तथा अगले ओलंपिक खेलों के लिए तैयार रहना होगा।'

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रवि के पिता राकेश ने उन्हें यहां तक पहुंचाने के लिए काफी बलिदान दिए। वह अब भी परिवार को चलाने के लिए पट्टे पर लिए गए खेतों पर काम करते हैं। हरियाणा सरकार ने उनके लिए चार करोड़ रुपये के नकद पुरस्कार की घोषणा की है और दहिया ने कहा कि वह केवल पैसे के बारे में नहीं सोच रहे थे और उनका ध्यान केवल ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतने पर था। रवि ने इस पर कहा, 'उन्हें काम करने में खुशी मिलती है। यह उन पर निर्भर है कि वह आराम चाहते हैं या नहीं। मैं उन पर किसी तरह का दबाव नहीं बनाऊंगा। मेरे गांव ने तीन ओलंपियन दिए हैं और वह मूलभूत सुविधाओं का हकदार है। मैं नहीं बता सकता कि पहले क्या चाहिए। गांव को हर चीज की आवश्यकता है। हर चीज महत्वपूर्ण है चाहे वह अच्छे स्कूल हों या खेल सुविधाएं।'
 

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