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वर्ल्ड टूर फाइनल्स में मैं दबाव में नहीं थी : पीवी सिंधु

बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड टूर फाइनल्स का खिताब जीतकर इतिहास रचने वाली भारत की अग्रणी बैडमिंटन खिलाड़ी पी.वी. सिंधु ने कहा है कि फाइनल में वह किसी तरह के दबाव में नहीं थीं और इसी वजह से वह खिताब जीत पाईं।...

वर्ल्ड टूर फाइनल्स में मैं दबाव में नहीं थी : पीवी सिंधु
एजेंसी,नई दिल्लीMon, 24 Dec 2018 03:24 PM
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बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड टूर फाइनल्स का खिताब जीतकर इतिहास रचने वाली भारत की अग्रणी बैडमिंटन खिलाड़ी पी.वी. सिंधु ने कहा है कि फाइनल में वह किसी तरह के दबाव में नहीं थीं और इसी वजह से वह खिताब जीत पाईं। सिंधु ने पिछले सप्ताह ही वर्ल्ड नम्बर-6 जापान की नोजोमी ओकुहारा को हराकर बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड टूर फाइनल्स का खिताब अपने नाम किया। सिंधु इस खिताब को जीतने वाली पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बनी हैं।

सिंधु ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा, “मुझे लगता है कि यह साल मेरे लिए अच्छा था। लेकिन यहां तक पहुंचना आसान नहीं था। मैं यह कहना चाहूंगी कि रजत पदक, पहले ही राउंड में हारकर बाहर होने से अच्छा है और मुझे इस पर गर्व है। कुल मिलाकर देखा जाए तो वर्ल्ड टूर फाइनल्स से साल का समापन करना अच्छा रहा।”

यह पूछे जाने पर कि जब आप करियर में पीछे मुड़कर देखती हैं तो आपको सबसे बड़ी उपलब्धि क्या दिखाई देती है, सिंधु ने कहा, “करियर में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं, हार-जीत लगी रहती है। लेकिन कड़ी मेहनत के बाद जब कुछ हासिल करते हैं तो इस पर आपको गर्व होना चाहिए। हालांकि अभी बहुत कुछ पाना बाकी है।” 

सिंधु ने वर्ल्ड टूर फाइनल्स में ओकुहारा के खिलाफ खेले गए फाइनल मैच को लेकर कहा, “ जब ओकुहारा जैसे खिलाड़ियों के खिलाफ खेलती हूं तो यह बिल्कुल भी आसान नहीं होता है। जब भी मैं उनके खिलाफ खेली हूं वह मैच लंबा ही चला है और मैं यहां भी यही सोचकर उतरी थी। फाइनल को लेकर कोई खास रणनीति नहीं थी क्योंकि हम दोनों एक दूसरे के खिलाफ काफी मैच खेल चुके हैं।” 

उन्होंने कहा, “मैच के दौरान गोपीचंद सर वहां मौजूद थे और उन्होंने मुझे कुछ टिप्स भी दिए। मैं इसमें किसी भी तरह की दबाव में नहीं थी क्योंकि कई लोगों ने मुझसे पूछा था कि फाइनल में पहुंचने के बाद आप कैसा सोच रही हैं। उन्होंने मुझसे कहा कि आपके दिमाग में क्या चल रहा है, क्या आप किसी तरह के दबाव में हैं।” 

भारतीय खिलाड़ी ने कहा, “लेकिन मैं पूरी तरह से ठीक थी। पिछले मैचों को लेकर मेरे ऊपर कोई दबाव नहीं था। यह मेरे लिए एक नया मैच था जहां मुझे खुद को साबित करना था। मेरा ध्यान सिर्फ अपने खेल पर और जीत पर था।”

सिंधु ने सायना नेहवाल के साथ प्रतिद्वंद्विता को लेकर कहा, “जब मैच की बात आती है तो हर कोई जीत हासिल करना चाहता है। कोर्ट पर प्रतिद्वंद्विता है, कोर्ट के बाहर नहीं।” 

रियो ओलम्पिक की रजत पदक विजेता ने कहा, “हर किसी का अपना-अपना दिन होता है। इसके अलावा यह भी अहम होता है कि कौन उस दिन अच्छा खेलता है क्योंकि आप हमेशा अपना 100 प्रतिशत नहीं दे सकते। हर किसी के खेलने का अपना अपना तरीका है। आपको इस बात को समझने की जरूरत है कि अलग-अलग सोच के साथ खेलता है। हम हर किसी के साथ एक जैसा खेल नहीं खेल सकते।”

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