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कॉमनवेल्थ गेम्स 2018: भड़का इन खिलाड़ियों का गुस्सा, बोले-गोरे कोचों के पीछे भागना छोड़ना होगा

2006 राष्ट्रमंडल खेलों के गोल्ड विनर अखिल और 2002 राष्ट्रमंडल खेलों के विजेता मुराद ने मंगलवार को यहां एक कार्यक्रम में कहा 'अब समय आ गया है कि भारतीय कोचों को विदेशी कोचों के बराबर पारिश्रमिक...

कॉमनवेल्थ गेम्स 2018: भड़का इन खिलाड़ियों का गुस्सा, बोले-गोरे कोचों के पीछे भागना छोड़ना होगा
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीWed, 28 Mar 2018 10:25 AM
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2006 राष्ट्रमंडल खेलों के गोल्ड विनर अखिल और 2002 राष्ट्रमंडल खेलों के विजेता मुराद ने मंगलवार को यहां एक कार्यक्रम में कहा 'अब समय आ गया है कि भारतीय कोचों को विदेशी कोचों के बराबर पारिश्रमिक दिया जाए और उन्हें तरजीह दी जाए। यह बड़ी अजीब बात है कि भारतीय कोचों को विदेशी कोचों के मुकाबले कम पैसा दिया जाता है जबकि भारतीय कोच लगातार अच्छे परिणाम दे रहे हैं।'

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भारतीय निशानेबाज़ी पर्यवेक्षक रह चुके मुराद ने कहा 'हमें विदेशी कोचों के पीछे भागना छोड़ना होगा। जब भारतीय कोच अच्छा कर रहे हैं तो उन्हें विदेशी कोचों जितना पैसा क्यों नहीं दिया जा रहा। मौजूदा खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर खुद एक खिलाड़ी रहे हैं और वह इन परिस्थितियों को अच्छी तरह जानते हैं। मुझे लगता है कि उनके कार्यकाल में भारतीय कोचों को विदेशी कोचों के बराबर महत्व मिलने लगेगा।'

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अखिल ने दूसरी ओर अधिक कड़े शब्दों में कहा 'विदेशी कोचों को बने बनाए खिलाड़ी मिलते हैं जिन्हें बताने के लिये उनके पास ज्यादा कुछ नहीं होता। विदेशी कोचों को जूनियर और सब जूनियर स्तर पर रखा जाए तो अधिक बेहतर होगा। हमारे यहां ऐसे कोच रखे जाते हैं जिन्होंने अपने दिनों में कुछ नहीं किया। मुझे भी मौका मिले तो मैं भी अच्छा काम कर सकता हूं चाहे मेरे पास कोचिंग का सर्टिफिकेट न हो।'

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