Asian Games: जब सिस्टम से लड़ने वाले एथलीट ने लगाई गोल्ड की हैट्रिक
2018 के आगामी एशियन खेलों के लिए भारतीय निशानेबाजों की तैयारी जोरों पर है। एशियन गेम्स में जब भी निशानेबाजी की बात होती है तो 2006 में दोहा एशियाई खेलों को याद जरूर किया जाता है। इन खेलों में भारत के...
2018 के आगामी एशियन खेलों के लिए भारतीय निशानेबाजों की तैयारी जोरों पर है। एशियन गेम्स में जब भी निशानेबाजी की बात होती है तो 2006 में दोहा एशियाई खेलों को याद जरूर किया जाता है। इन खेलों में भारत के जसपाल राणा ने गोल्ड की हैट्रिक मारकर धमाल मचा दिया था।
जसपाल के नाम तीन गोल्ड
उस साल दूसरी बार एशियाई खेल खाड़ी देश में हुए। दोहा एशियन गेम्स में 45 देश शामिल हुए, जिसमें 39 खेल थे। भारत ने इसमें 10 गोल्ड, 17 सिल्वर और 26 ब्रॉन्ज जीते थे। निशानेबाज जसपाल राणा ने 1994 एशियाई खेल के बाद इस बार तीन स्वर्ण एक रजत पदक अकेले जीता। उन्होंने 25 मी सेंटर फायर पिस्टल और 25 मीटर स्टैण्डर्ड पिस्टल में दबदबा कायम किया। निशानेबाजी टीम ने 25 मी सेंटर फायर पिस्टल में स्वर्ण जीता। इस टीम में भी जसपाल राणा थे।
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'दवाइयां खाकर शूटिंग रेंज में पहुंचा'
मेरे लिए 2006 के एशियाई खेल बहुत मायने रखते हैं। यहां किया गया प्रदर्शन मुझे हमेशा याद रहेगा। मुझे याद है उन दिनों में बीमार था। मेरा इवेंट होने वाला थ। मेरे कोच वाजिद अली दवाइयां खिलाते थे। उन्होंने मुझे पिस्टल लेकर खड़े होने की ताकत दी। मैंने अपना आत्मविश्वास नहीं खोया और 25 मी सेंटर फायर पिस्टल और 25 मीटर स्टैंडर्ड में स्वर्ण पदक जीता। 25 मीटर सेंटर फायर पिस्टल टीम इवेंट का भी स्वर्ण हमने जीता।"
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'सिस्टम और फेडरेशन से थी मेरी लड़ाई'
जसपाल कहते हैं, "यह एशियाई खेल मेरे लिए इसलिए और मायने रखते हैं कि मेरी लड़ाई इस सिस्टम से और फेडरेशन के कई लोगों से मैं तनाव में भी था। लेकिन मैंने अपने को काबू में रखा और तीन स्वर्ण एक रजत पदक जीता। यह पल दुनिया में सबसे ज्यादा खुशी देने वाला था।" आपको बता दें कि जसपाल राणा को 1994 में अर्जुन अवॉर्ड मिला था।