Hindi Newsखेल न्यूज़अन्य खेलI never demand luxury only ask for good training Lovlina Borgohain expressed her pain after World Championship Exit
मैं कभी ऐसी चीजें तो नहीं मांगी...विश्व चैंपियनशिप से बाहर होने के बाद लवलीना का छलका दर्द

मैं कभी ऐसी चीजें तो नहीं मांगी...विश्व चैंपियनशिप से बाहर होने के बाद लवलीना का छलका दर्द

संक्षेप: विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप से बाहर होने के बाद लवलीना बोरगोहेन का दर्द छलका है। उन्होंने कहा कि मुझे हमेशा वह ट्रेनिंग या कोच नहीं मिलता जो मुझे वास्तव में चाहिए। लवलीना ओलंपिक पदक विजेता हैं।

Sun, 7 Sep 2025 01:43 PMBhasha
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ओलंपिक पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन ने विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप के पहले दौर से बाहर होने के बाद ट्रेनिंग के कम अवसरों पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें हमेशा वह ट्रेनिंग नहीं मिलती जो उन्हें वास्तव में चाहिए। एक साल से अधिक समय बाद अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में वापसी करने वाली टोक्यो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता लवलीना शनिवार को 75 किग्रा वर्ग के राउंड ऑफ 16 मुकाबले में तुर्की की बुसरा इस्लिदार के खिलाफ 0-5 की हार के दौरान लय में नहीं दिखी।

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लवलीना ने शनिवार को ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘एक साल बाद मैंने अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। मैं अपने पहले ही मुकाबले में हार गई... इससे पीड़ा पहुंचती है। मुझे खेद है कि मैं इस बार ऐसा नहीं कर पाई। लेकिन सभी जानते हैं - मैं कभी भी किसी और चीज के लिए नहीं लड़ती, सिर्फ अपनी ट्रेनिंग के लिए। मैं कभी विलासिता की चीजें नहीं मांगती। मैं सिर्फ अच्छी ट्रेनिंग मांगती हूं।’’ इस 27 वर्षीय भारतीय मुक्केबाज ने पेरिस ओलंपिक और उसके बाद के मुकाबलों के लिए तैयारी के दौरान कम अनुभव मिलने पर अफसोस जताया और टोक्यो खेलों से पहले मिली सहयोग प्रणाली से तुलना की। उन्होंने कहा, ‘‘टोक्यो ओलंपिक से पहले हमारे पास अच्छे अंतरराष्ट्रीय शिविर थे। मैं ट्रेनिंग के लिए अंतरराष्ट्रीय स्परिंग जोड़ीदार के लिए अनुरोध करती थी लेकिन पेरिस ओलंपिक से पहले मुझे बहुत कम प्रतियोगिताएं और बहुत कम अंतरराष्ट्रीय शिविर का मौका मिला।’’

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लवलीना ने कहा, ‘‘अच्छे जोड़ीदार के बिना मैं खुद को कैसे बेहतर बना सकती हूं? पेरिस ओलंपिक में भी मैं अकेली थी। मुझे खुद को बार-बार साबित करना पड़ता है। और सभी जानते हैं कि खेल में मानसिक शक्ति उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी शारीरिक शक्ति।’’ उन्होंने कहा, ‘‘फिर भी अपने देश के लिए सब कुछ देने के बाद भी मुझे हमेशा वह ट्रेनिंग या कोच नहीं मिलता जो मुझे सच में चाहिए। मैं हर लड़ाई में अकेले ही मुश्किलों का सामना करती हूं। मुझे बताओ... क्या यह सही है कि मैं हमेशा अपना सिर झुकाए रखूं, सब कुछ होने के बावजूद चुपचाप ट्रेनिंग करती रहूं?’’

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लवलीना ने हालांकि स्पष्ट किया कि वह मौजूदा कोच की आलोचना नहीं कर रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं मौजूदा कोच और टीम के सदस्यों को दोष नहीं दे रही। उन्होंने हमेशा मेरा साथ दिया है और मेरी मदद करने की कोशिश की है। लेकिन हां... कुछ नया सीखने में हमेशा थोड़ा और समय लगता है।’’ इस साल लवलीना ने अनुरोध किया था कि राष्ट्रीय शिविर में उनके निजी कोच को शामिल किया जाए और यूरोप में ट्रेनिंग का मौका दिया जाए लेकिन दोनों अनुरोध खारिज कर दिए गए।

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