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खुशहाल जीवन के लिए सुनें दिल की आवाज

लॉकडाउन के दौर ने हमारे जीवन जीने के तरीके पर बहुत से सवाल तो उठाये ही, साथ ही कुछ जरूरी पाठ भी पढ़ाए। परिवार को समय देने के साथ-साथ अपने शौक को नया मुकाम  देना और खुद को समझना तथा नकारात्मकता...

खुशहाल जीवन के लिए सुनें दिल की आवाज
Mondelez,IndiaFri, 12 Mar 2021 11:30 AM
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लॉकडाउन के दौर ने हमारे जीवन जीने के तरीके पर बहुत से सवाल तो उठाये ही, साथ ही कुछ जरूरी पाठ भी पढ़ाए। परिवार को समय देने के साथ-साथ अपने शौक को नया मुकाम  देना और खुद को समझना तथा नकारात्मकता से बचते हुए खुश रहने की कला सीखना ये सब लॉकडाउन के दौरान बहुत से लोगों ने सीखा। मोंडेलेज इंडिया "हॅपीनेस अनलॉक्ड" के नाम से अपने पाठकों के लिए कुछ ऐसे ही लोगों की प्रेरणादायक कहानियां लेकर आया है, जिन्होंने लॉकडाउन के दौरान अपने दिल की सुनी और उन्हें मिला खुशियों का रास्ता।

 खुशियों का पिज्जा बॉक्स

लॉकडाउन के दौरान अनेकों किस्से बने और कुछ कहानियां तो ऐसी थी, जिसने सबका दिल छू लिया। ऐसी ही एक कहानी है, मुंबई की 67 वर्षीय प्रतिभा कनोई की। जिन्होंने शायद ही कभी सोचा होगा कि उनके हाथ से बने पिज्जा को एक दिन देश ही नहीं विदेशों में भी शोहरत मिलेगी।

लॉकडाउन के दौरान एक विशेष अवसर पर उनकी खास रेसिपी द्वारा बनाये गए पिज्जा ने सबका दिल जीत लिया, और वहीं से उन्हें अपने पिज्जा बनाने के हुनर को अगले स्तर पर ले जाने का ख्याल आया। तालाबंदी के निराशापूर्ण दौर में भी उन्होंने अपने लिए नए अवसरों की खोज की और इस तरह वह एक आम महिला से खास बन गयी।

वह बचपन से ही कुकिंग करना पसंद करती थी। उनके इस हुनर को बढ़ावा बैंकॉक में मिला जहां उनका बचपन बीता। वहां उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कुजीन के बारे में जाना । उन्हें थिन क्रस्ट पिज्जा ज्यादा आर्कषित करता था। वह अक्सर अपने दोस्तों के लिए विभिन्न सामग्रियों द्वारा बड़े आकार का पिज्जा बनाना पसंद करती हैं। उनका यह जूनून शादी के बाद बच्चों की देखभाल में कही खो सा गया था लेकिन लॉकडाउन के समय में उनके कुकिंग की बेहतरीन कला को पहचान मिली।

आज वह एक खुशहाल दादी होने के साथ-साथ एक बेहतरीन शेफ भी हैं। वह सर पर शेफ हैट लगाकर बेहद कुशलता से "मोमीस किचन" का संचालन करती हैं, जहां ग्राहक लाजवाब पिज्जा और पास्ता का आनंद ले सकते हैं। आज उनके लगभग 2300 से ज्यादा ग्राहक हैं। इतना ही नहीं उनके ग्राहकों में कलाकार, नेता और व्यवसायी भी शामिल हैं। साथ ही आपको जान कर हैरानी होगी कि उनके पिज्जा ने देश में ही नहीं बल्कि दुबई के बुर्ज खलीफा तक पहचान बना ली है। इतने कम समय में उन्हें मिली उपलब्धि सराहनीय है और अन्य लोगों के लिए प्रेरणादायक भी।  प्रतिभा कनोई का जूनून और कुकिंग के प्रति उनके प्यार ने ये साबित किया है कि असली खुशी दुनियाभर के लोगों की सुनने में नहीं बल्कि अपने दिल की सुनने में हैं। आज वह सभी युवाओं के लिए प्रेरणा तो हैं ही, साथ ही उन उम्रदराज लोगों के लिए भी आदर्श हैं जो अपनी अधिक उम्र के कारण अपनी इच्छाओं और शौक को पूरा करने से डरते हैं।

कला से मिली शांति और बन गयी एक नई कहानी

तालाबंदी के दौरान बहुत से लोगों ने दुनिया में पहचान बनाई तो कुछ लोगों ने ऐसे तरीके खोजे जो मुश्किल समय में भी आपको शांत और सहज बनाने में मदद कर सकते हैं। एक ऐसी ही कुशल गृहिणी और कला प्रेमी महिला हैं अनीता गुप्ता। जब लॉकडाउन हुआ तब वह बच्चों और युवाओं को उनके घर के पास स्थित एक नृत्य केंद्र में कत्थक सिखाया करती थी। लेकिन जब क्लासेस भी बंद हो गयी तब अनीता भी औरों की तरह घर की चार दीवारी में कैद होकर रह गयी, मगर कला और कलाप्रेमी को ज्यादा दिन दूर नहीं रखा जा सकता।

वह बचपन से ही पेंटिंग बनाने की शौकीन थी, लेकिन घर की जिम्मेदारियों और डांस क्लासेस में उनका सारा समय बीत जाने की वजह से उन्हें अपने पेंटिंग के जूनून को कागज पर उतारने का समय नहीं मिल पाता था। तालाबंदी के दौरान उन्होंने अपने पेंटिंग के जूनून को समय दिया। उन्होंने नए तरह की कलाएं सीखने की सोची और मंडला आर्ट की ऑनलाइन क्लासेस लेना शुरू कर दिया। अनीता के लिए मंडला चित्रकारी केवल कला ही नहीं, बल्कि ध्यान का एक माध्यम बन गया। मंडला आर्ट व्यक्ति के दिमाग को शांत और मन को सुकून देता है। इसके अलावा अनीता गुप्ता का पेड़-पौधों से प्यार भी लॉकडाउन के दौरान उभर कर सामने आया और उन्होंने खुद की छत को टेरेस गार्डन बना दिया। आज वह एक खूबसूरत टेरेस गार्डन की रचयिता हैं। उनकी कला और हर समय कुछ नया सीखने के उनके जज्बे ने लॉकडाउन के दौरान उन्हें हिम्मत दी और कुछ पाने का एहसास दिलाया। तालाबंदी में अवसाद और निराशा को दूर रहने तथा अपने शौक को पूरा करने के लिए कोशिश करते रहने के जज्बे ने उन्हें पहचान दिलाई है और इससे अन्य लोगों को यह सीख मिलती है कि खुश रहने के लिए दिल की सुनना बहुत जरूरी है।

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