Why Rajasthan High Court Angry On State Government Over Sever Heat लोगों के साथ जानवरों जैसा सुलूक नहीं कर सकते; भीषण गर्मी के बीच राजस्थान सरकार पर क्यों भड़क उठा हाई कोर्ट, Rajasthan Hindi News - Hindustan
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लोगों के साथ जानवरों जैसा सुलूक नहीं कर सकते; भीषण गर्मी के बीच राजस्थान सरकार पर क्यों भड़क उठा हाई कोर्ट

  • राजस्थान इस वक्त भीषण गर्मी का सामना कर रहा है। इस बीच राजस्थान हाई कोर्ट ने सरकार की तरफ से इस स्थिति से निपटने के लिए कोई कदम ना उठाने पर फटकार लगाई है।

Aditi Sharma लाइव हिन्दुस्तान, जयपुरFri, 18 April 2025 01:13 PM
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लोगों के साथ जानवरों जैसा सुलूक नहीं कर सकते; भीषण गर्मी के बीच राजस्थान सरकार पर क्यों भड़क उठा हाई कोर्ट

राजस्थान इस वक्त भीषण गर्मी की चपेट में है। तापमान 44-45 डिग्री के पार पहुंच गया है। लू का असर भी दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। इससे लोगों का घरों से निकलना मुश्किल हो रहा है। राज्य पर भाषण गर्मी के प्रकोप को देखते हुए हाई कोर्ट ने राजस्थान सरकार पर गर्मी से बचने के लिए उचित कदम उठाने में विफल रहने पर फटकार लगाई है। कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा है कि इस साल गर्मी का मौसम लोगों के स्वास्थ्य के लिए बड़ी चुनौती होने वाला है, लेकिन राज्य की सरकार ने इस गर्मी से निपटने के लिए कोई ऐक्शन प्लान तैयार नहीं किया है। इसी के साथ कोर्ट ने कहा है कि लोगों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार नहीं किया जा सकता।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस अनूप कुमार ढांड ने कहा, राज्य सरकार ने न तो राजस्थान जलवायु परिवर्तन परियोजना के तहत विकसित हीट एक्शन प्लान को सही अर्थों में लागू करने के लिए कोशिश की और न ही 'भारत में हीट रिलेटेड इलनेस (एचआरआई) की स्वास्थ्य प्रणालियों की तैयारी को मजबूत करन के लिए कोई कदम उठाए। इसके अलावा हीटवेव को लेकर राज्य के स्वास्थ्य विभाग को अब तक कोई सलाह जारी नहीं की गई है, जो कि लोगों के हित में जरूरी है।

जस्टिस ढांड ने कहा, "राज्य के नागरिकों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार नहीं किया जा सकता। हर इंसान और जीवित प्राणी, चाहे वह पशु हो या पक्षी, को जीवन का अधिकार है। जस्टिस ढांड ने कहा कि यह कोर्ट यह कहने के लिए बाध्य है कि यह मामला राज्य के अधिकारियों अड़ियन रवैये का साफ उदाहरण है, जो खुद को कानून की पहुंच से परे समझते हैं। उन्होंने सरकार की विफलताओं को उजागर करते हुए कहा, राज्य ने अब तक सड़कों पर पानी छिड़कने के लिए कोई तंत्र नहीं बनाया है। सिग्नल, सड़क किनारे की जगहों और घनी आबादी वाले क्षेत्रों में कोई ठंडा स्थान या छायादार क्षेत्र उपलब्ध नहीं कराया गया है। आम जनता, विशेष रूप से रोजाना वेतन भोगियों, रिक्शा और गाड़ी चलाने वालों और कुलियों को पानी छिड़कने, ओआरएस पैकेट वितरित करने, आम पन्ना और अन्य ठंडक राहत उपायों जैसी सुविधाएं नहीं दी गई हैं। पक्षियों और जानवरों के लिए पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। इसके अलावा कोर्ट ने अन्य कई कमियों के बारे में बताया।

कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को मामले से जुड़े मुद्दों को संबोधित करने और एक कार्य योजना तैयार करने के लिए विभिन्न विभागों को शामिल करते हुए एक समन्वय समिति गठित करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा, कोर्ट ने कहा कि सरकार ये बगाना नहीं कर सकती की फंड की कमी है और वे भी तब जब वह प्रचार अभियान, पुरस्कार समारोह और अन्य समान गतिविधियों पर लाखों खर्च करने में सक्षम है।