
कैबिनेट फेरबदल की चर्चाओं के बीच वनवास से बाहर आईं वसुंधरा राजे, BJP-RSS नेताओं से मिलीं
संक्षेप: भजनलाल शर्मा के सीएम बनने के बाद से वसुंधरा राजे और भाजपा के बीच के रिश्ते और भी नाजुक हो गए थे। हालांकि अब कैबिनेट फेरबदल की चर्चाओं के बीच राजे ने मोदी-शाह समेत भाजपा-आरएसएस के कई शीर्ष नेताओं से मुलाकात की है। इससे उनका वनवास खत्म होता दिखाई दे रहा है।
साल 2023 में भाजपा ने भजन लाल शर्मा को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया। इसके बाद से पूर्व सीएम रहीं वसुंधरा राजे राजनीतिक रूप से काफी शांत और पीछे चलती दिखाई दी। हालांकि, बीते दिनों भाजपा और आरएसएस के शीर्ष नेताओं के साथ उनकी बैठकें हुई हैं। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि उनकी राजनीतिक वापसी होगी और वो अज्ञातवास से बाहर जाएंगी।

मंत्रीमंडल में बन रहीं फेरबदल की संभावनाएं
शर्मा सरकार में असंतोष के स्वर उठते दिखाई दे रहे हैं। इसके चलते शर्मा सरकार की छवि को धक्का लग रहा है। ऐसे में राज्य के मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावना बनती दिखाई दे रही है। वहीं दूसरी तरफ भाजपा और संघ के शीर्ष नेतृत्व के साथ हुई बैठकों में सूत्रों के हवाले से सामने आ रहा है कि राजे अपने वफादारों के लिए मंत्रिमंडल में जगह बनाना चाहती हैं।
इन विधायकों को मंत्रिमंडल में लाना चाहती हैं वसुंधरा
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अनुमान लगाया जा रहा है कि पार्टी मालवीय नगर विधायक कालीचरण सराफ और निम्बाहेड़ा विधायक श्रीचंद कृपलानी जैसे नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल करने की कोशिश कर रही है। आपको बता दें कि दोनों विधायक वसुंधरा राजे के वफादारों में से हैं। अनुमान है कि इसी सिलसिले में राजे लगातार शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठकें कर रही हैं।
मोदी और शाह से भी मिली थीं वसुंधरा
हाल ही में संसद का मॉनसून सत्र खत्म हुआ था। इसके बाद वसुंधरा राजे की मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ भी हुई थी। एक अन्य पार्टी सूत्र ने कहा कि कैबिनेट में बड़े फेरबदल की जो अफवाहें चल रही हैं, वे सही नहीं हैं। राज्य भाजपा अध्यक्ष मदन राठौड़ के मुताबिक, विधानसभा का मानसून सत्र खत्म होने के बाद अब कभी भी मंत्रिमंडल विस्तार या फेरबदल हो सकता है।
भजनलाल मोदी और शाह की पहली पसद
पार्टी में ये बात भी साफ है कि शर्मा मोदी और शाह की पसंद हैं। इसलिए फिलहाल उनका पद से हटना संभव नहीं लग रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि वो बिना किसी सवाल के दिल्ली से भेजे गए निर्देशों का पालन करते हैं। हालांकि, इस बात पर गौर किया जा सकता है कि वसुंधरा राजे को केंद्र में कोई जिम्मेदारी सौंप दी जाए।
भाजपा और वसुंधरा के संबंध में आई थीं दरारें
भजनलाल शर्मा के सीएम बनने के बाद से वसुंधरा राजे और मोदी सरकार के रिश्तों में और भी दरारें आ गई थीं। राजे ने मीटिंग में हिस्सा लेना बंद कर दिया। विधानसभा उपचुनाव और हरियाणा विधानसभा चुनावों में प्रचार-प्रसार के लिए नहीं गईं, जबकि उन्हें स्टार प्रचारक के तौर पर नामित किया गया था। हालांकि, जब सात में से पांच विधायक जीत गए, तो राजे ने उनसे मुलाकात की। अनुमान लगाया गया कि राजे ने राजनीति में वापसी के इरादे से ऐसा किया।
हर इंसान के जीवन में वनवास आता है
बीते माह 30 अगस्त को उन्होंने धौलपुर में एक सभा में बोलते हुए कहा- वनवास सिर्फ श्री राम के जीवन का हिस्सा नहीं है। हर इंसान के जीवन में वनवास आता है और जाता भी है। दुनिया में कुछ भी स्थाई नहीं है। जो आता है, वह जाता भी है। राजे के इस बयान में रहस्यमयी मेसेज छिपा था, जिसकी चर्चाएं खूब हुईं। उनके समर्थकों ने अनुमान लगाया कि वो सक्रीय राजनीति में फिर से बढ़-चढ़कर भाग लेंगी, तो वहीं कुछ लोगों को संकेत दिया कि राजनीति में कुछ भी हो सकता है।





