राजस्थान के हर बड़े आंदोलन की शुरुआत भरतपुर से ही क्यों होती है? जानिए इस सवाल का जवाब
माली, सैनी, कुशवाहा, शाक्य, मौर्य जातियों का 12% आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन जारी है। आंदोलन का बुधवार को चौथा दिन है, जहां आंदोलनकारियों ने जयपुर-आगरा नेशनल हाईवे को जाम कर रखा है।

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राजस्थान में जितने भी बड़े आंदोलन हुए हैं, चाहे गुर्जर आंदोलन हो या जाट आंदोलन या अन्य किसी प्रकार का आंदोलन, सभी आंदोलन की शुरुआत भरतपुर से ही क्यों होती हैं? आखिर ऐसी क्या बात है कि राजस्थान के सबसे बड़े आंदोलन भरतपुर से ही शुरू होते हैं? यह सवाल कइयों के जहन में उठता रहता है। भाजपा सरकार रहे या कांग्रेस सरकार, दोनों ही सरकारों में जो भी बड़े आंदोलन हुए वे सभी भरतपुर से ही शुरू हुए थे। एक खास बात और भी है कि इन सभी बड़े आंदोलनों की आग को बुझाने में सफलता सिर्फ एक व्यक्ति विशेष को ही मिलती है। आखिर उस व्यक्ति में क्या खासियत है, कि वह किसी भी बड़े आंदोलन की आग को बुझाने में सक्षम रहता है?
राजस्थान में सबसे बड़ा आंदोलन गुर्जर आरक्षण आंदोलन हुआ, जिसमें 72 गुर्जर मारे गए लेकिन खास बात यह रही कि इस आंदोलन की शुरुआत भरतपुर से ही हुई थी। वहीं दूसरा बड़ा आंदोलन, आरक्षण जाट आंदोलन हुआ उसकी शुरुआत भी भरतपुर से ही हुई थी। जानकारों की मानें तो प्रदेश के सभी बड़े आंदोलनों की शुरुआत भरतपुर से ही होने की वजह मानी जाती है कि लोगों का मानना है कि यहां से आंदोलन को सफलता जरूर मिलती है।
हमेशा अजेय रहा है 'लोहागढ़'
दरअसल भरतपुर को लोहागढ़ भी कहा जाता है और इस लोहागढ़ किले को कभी भी कोई जीत नहीं सका था, यह हमेशा अजेय रहा। इसलिए यहां के लोगों में एक विश्वास रहता है कि अजेय लोहागढ़ की भूमि से यदि कोई आंदोलन शुरू किया जाता है तो उसमें सफलता जरूर मिलती है। यही कारण है कि हर बड़े आंदोलन की शुरुआत भरतपुर से ही होती है। एक खास बात यह भी है कि इन सभी आंदोलनों की आग को बुझाने का काम भी एक ही शख्स को मिलता है, और वह शख्स बखूबी यह काम पूरा भी करता है।
विश्वेंद्र सिंह करते रहे हैं कमाल
गुर्जर आंदोलन भाजपा सरकार के दौरान शुरू हुआ था। उस समय विश्वेंद्र सिंह ही ऐसे व्यक्ति थे जो गुर्जर आंदोलनकारियों के बीच गए थे और आंदोलन की आग को बुझाने का काम किया था। वहीं जाट आरक्षण आंदोलन हुआ, उस समय भी भाजपा सरकार थी उस दौरान भी विश्वेंद्र सिंह ही ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने जाट आरक्षण आंदोलन को खत्म करवाया। इसके अलावा साल 2012 में गोपालगढ़ कांड हुआ था। उस समय कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत थे, तब भी विश्वेंद्र सिंह ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने उस सांप्रदायिक दंगे की आग को बुझाने में सफलता प्राप्त की थी। विश्वेंद्र सिंह फिलहाल राजस्थान की कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं जो भरतपुर रियासत के पूर्व महाराजा भी हैं। माना जाता है कि विश्वेन्द्र सिंह आंदोलनकारियों को आश्वस्त करने में जितने माहिर हैं, उतने ही सरकारों से उनकी मांग मनवाने में भी। ऐसे में आंदोलनकारी उनका भरोसा आसानी से कर लेते हैं।
फ़िलहाल जारी है माली आरक्षण आंदोलन
माली, सैनी, कुशवाहा, शाक्य, मौर्य जातियों का 12% आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन जारी है। आंदोलन का बुधवार को चौथा दिन है, जहां आंदोलनकारियों ने जयपुर-आगरा नेशनल हाईवे को जाम कर रखा है। उम्मीद की जा रही है कि आंदोलन कर रहे नेताओं और कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह के बीच बुधवार को सकारात्मक वार्ता हो सकती है और आंदोलन को खत्म करने का निर्णय लिया जा सकता है।