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पूर्व केंद्रीय मंत्री के खिलाफ अरेस्ट वारंट, जितेंद्र सिंह पर शाही प्रॉपर्टी हथियाने का आरोप

राजस्थान में एक पूर्व केंद्रीय मंत्री के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया गया है। मामला बूंदी के पूर्व शादी परिवार की प्रॉपर्टी हथियाने के लिए धोखाधड़ी और ट्रस्ट डीड बनाने का है। यह वारंट एक मुख्य...

पूर्व केंद्रीय मंत्री के खिलाफ अरेस्ट वारंट, जितेंद्र सिंह पर शाही प्रॉपर्टी हथियाने का आरोप
भाषा,कोटाSat, 27 Nov 2021 04:45 PM

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राजस्थान में एक पूर्व केंद्रीय मंत्री के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया गया है। मामला बूंदी के पूर्व शादी परिवार की प्रॉपर्टी हथियाने के लिए धोखाधड़ी और ट्रस्ट डीड बनाने का है। यह वारंट एक मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने जारी किया है। मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस नेता जितेंद्र सिंह के साथ दो अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया है।

18 नवंबर को जारी हुआ था वारंट
पुलिस ने बताया कि जितेंद्र, उनके ससुर बिजेंद्र सिंह और बूंदी के पूर्व जिला प्रमुख श्रीनाथ सिंह हाडा के खिलाफ 18 नवंबर को गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था। बूंदी नगर पुलिस ने दिसंबर, 2017 में जितेंद्र और दो अन्य आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (फर्जी दस्तावेज को असली के रूप में इस्तेमाल करना) और 120 (बी) (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया था। 

यह है पूरा मामला
यह मामला पूर्व राजपरिवार के आखिरी राजा बहादुर सिंह के बेटे रंजीत सिंह के मित्र होने का दावा करने वाले अविनाश कुमार चांदना की शिकायत पर दर्ज किया गया है। कांग्रेस नेता जितेंद्र सिंह, रंजीत सिंह के भतीजे हैं। चांदना का आरोप है कि तीनों आरोपियों ने रंजीत सिंह की संपत्ति पर कब्जा करने के लिए षड्यंत्र रचा। मई 2008 को बैकडेट की ट्रस्ट डीड तैयार कर उस पर उनके जाली हस्ताक्षर किए। रंजीत की कोई संतान नहीं थी। चांदना ने दावा किया कि रंजीत उनके दोस्त थे और वह 2010 में आखिरी सांस लेने तक दिल्ली स्थित उनके आवास में उनके साथ ही रहे थे। उन्होंने दावा किया कि शाही परिवार के वंशज ने 2009 में सारी संपत्ति उन्हें हस्तांतरित कर दी थी। चांदना का आरोप है कि जितेंद्र ने कुल देवी आशापुरा माताजी न्यास की स्थापना की और इसके माध्यम से रंजीत की सारी संपत्ति धोखे से अपने नाम कर ली।     

अदालत को धोखा देने की कोशिश
अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी करते हुए कहाकि जितेंद्र और दो अन्य आरोपियों ने अनुचित लाभ लेने के लिए फर्जी न्यास दस्तावेज जमा कराके अदालत को धोखा देने की कोशिश की। अदालत ने इस बात पर भी गौर किया कि जितेंद्र ने जांच अधिकारी को दस्तावेज की मूल प्रति मुहैया नहीं कराई, बल्कि अधिकारी को एक निजी फोरेंसिक प्रयोगशाला द्वारा जारी एक फर्जी रिपोर्ट दी गई। जितेंद्र द्वारा जमा कराई गई इसी रिपोर्ट के आधार पर बूंदी पुलिस ने मामले में अंतिम रिपोर्ट दाखिल की थी। चांदना ने अदालत में इसे चुनौती दी है।

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