ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News राजस्थानमाता-पिता का साया उठा तो बच्चों को खानी पड़ी घास की रोटी, अब प्रशासन हरकत में आया तो मिला सहारा

माता-पिता का साया उठा तो बच्चों को खानी पड़ी घास की रोटी, अब प्रशासन हरकत में आया तो मिला सहारा

माता-पिता की मौत के बाद अक्सर बच्चों के हालात काफी दयनीय एवं गंभीर हो जाती है। ऐसा ही मामला राजस्थान के उदयपुर जिले की मावली तहसील क्षेत्र की बडिय़ार ग्राम पंचायत के गारियावास फला की भील बस्ती में...

माता-पिता का साया उठा तो बच्चों को खानी पड़ी घास की रोटी, अब प्रशासन हरकत में आया तो मिला सहारा
Ashutosh Rayएजेंसी,उदयपुरThu, 23 Jul 2020 06:07 PM
ऐप पर पढ़ें

माता-पिता की मौत के बाद अक्सर बच्चों के हालात काफी दयनीय एवं गंभीर हो जाती है। ऐसा ही मामला राजस्थान के उदयपुर जिले की मावली तहसील क्षेत्र की बडिय़ार ग्राम पंचायत के गारियावास फला की भील बस्ती में सामने आया है। यहां माता-पिता की मौत के बाद बच्चों का लालन-पालन नहीं किया जा रहा था। ऐसे में बच्चों को मजबूरन घास की रोटी खानी पड़ रही थी. माता-पिता का जब तक बच्चों को सहारा था।

तब परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के बावजूद माता एवं पिता के द्वारा उनका अच्छे से ख्याल रखा जाता था। इसको लेकर सरकार द्वारा परिवार को खाद्य सुरक्षा योजना से जोड़ा गया। जिससे परिवार का गुजारा चल जाता था। मगर, माता-पिता के मौत के बाद से ही खाद्य सुरक्षा से परिवार का नाम कट गया। जिससे बच्चों को मिलने वाली यह सुविधा भी माता-पिता का साथ छूटने के साथ चली गई।

सरपंच ने उठाया बीड़ा और मिली सहायता
इस मामले में बडियार सरपंच के द्वारा सालेरा खूर्द स्थित समिधा संस्थान के अध्यक्ष चंद्रगुप्त सिंह चौहान को सूचना दी गई। जिस पर अध्यक्ष चौहान ने इस संबंध में चाइल्ड वेलफेयर कमेटी उदयपुर को सूचना दी। बाल कल्याण कमेटी उदयपुर के अध्यक्ष धू्रव कुमार कविया ने मौके पर जाकर गांव में बच्चों की स्थिति का जायजा लिया। जिसमें पाया गया कि गांव में माता-पिता की मृत्यु के बाद उनका काका 7 बच्चों की परवरिश एवं देखभाल कर रहा था। परन्तु बच्चों की स्थिति काफी दयनीय पायी गई। बच्चों से जानकारी लेने पर पता चला कि सुबह से दोपहर हो चुकी थीं। मगर उन्होंने कुछ नहीं खाया था। बच्चों के रहने की सुविधा नहीं थीं। बारिश के दिनों में बच्चे इधर-उधर पेड़ों की छाया में रहते थे। 

2019 में हो गया था माता-पिता का निधन
समिधा संस्थान के अध्यक्ष चंदगुप्तसिंह चौहान ने बताया कि 10 अगस्त 2019 को ही बच्चों के पिता एवं 16 अगस्त 2019 को बच्चों की माता का निधन हो गया था. माता एवं पिता की मौत के बाद से उनका काका 7 बच्चों का ख्याल रख रहा है। वहीं, उसके काका का बना हुआ कच्चा घर बारिश के चलते ढह गया था। बच्चों की हालात काफी दयनीय पाई जाने पर तुरन्त सभी बच्चों को चाइल्ड लाइन में भेजने हेतु निर्देश किया गया। बच्चों को अस्थायी रूप से समिधा संस्थान द्वारा संचालित बालगृह में रखवाया गया है। जहां पर समिधा के वॉलियन्टर्स के द्वारा उनकी सेवा एवं देखभाल की जा रहीं है।

पुलिस ने संज्ञान लेकर कराया मेडिकल
सुबह से दोपहर तक चली रेस्क्यू प्रक्रिया में मावली थाना पुलिस ने कार्रवाई करते हुए बच्चों के काका को पाबंद किया तथा सभी बच्चों को चाइल्ड लाईन के भेजने की प्रक्रिया शुरू की। इस संबंध में सीडब्ल्यूसी के धुव्र कुमार कविया ने बच्चों का मेडिकल करवाने के निर्देश दिए। जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया और सालेरा खूर्द स्थित समिधा बाल गृह में मेडिकल टीम देर शाम पहुंची। जहां पर चिकित्सकों के द्वारा बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण कर मेडिकल किया गया।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें