वसुंधरा राजे की अनदेखी नहीं करेगी बीजेपी? पोस्टरों में एंट्री के बाद भूमिका भी तय होगी
राजस्थान में विधानसभा चुनाव में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की भूमिका को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। सस्पेंस इसलिए है कि पीएम मोदी ने अपने भाषण में राजस्थान बीजेपी के नेताओं का जिक्र करने से बचते रहे हैं।

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राजस्थान में विधानसभा चुनाव में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की भूमिका को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। सस्पेंस इसलिए है कि पीएम मोदी ने अपने भाषण में राजस्थान बीजेपी के नेताओं का जिक्र करने से बचते रहे हैं। माना जा रहा है कि पीएम मोदी के दौरे के बाद वसुंधरा राजे की भूमिका बदलेगी। चर्चा है कि पीएम मोदी की नसीहत के बाद ही पोस्टरों में वसुंधरा राजे की वापसी हुई है। पार्टी मुख्यालय पर होर्डिंग्स बदलकर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का चेहरा शामिल करने की कवायद को भी मोदी की नसीहत का ही असर माना जा रहा है। इससे मैसेज यह गया है कि वसुंधरा राजे को पार्टी किसी भी स्थिति में अनदेखी नहीं कर सकती। पोस्टर पॉलिटिक्स के जरिए वसुंधरा समर्थकों में यह बात पहुंचाने की कोशिश की गई है कि पूरी पार्टी एक साथ है। माना जा रहा है कि पीएम मोदी के दौरे के बाद वसुंधरा राजे की भूमिका तय हो सकती है।
वसुंधरा राजे की भूमिका होगी तय
राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 के अंत में है, लेकिन सीएम फेस को लेकर प्रदेश के बीजेपी नेताओं में खींचतान जारी है। वसुंधरा राजे समर्थक सीएम फेस बनाने की मांग करते रहे हैं। राजे का धुर विरोधी माने जाने वाले सतीश पूनिया और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने की बात कहकर वसुंधरा राजे की दावेदारी को इशारों में खारिज करते रहे हैं। पिछले समय में पार्टी की ओर से चलाए गए अभियानों या कार्यक्रमों में अक्सर वसुंधरा राजे सक्रियता से दिखाई न के बराबर दिखाई दी है। इन दूरियों के नुकसान का अंदाजा पहले ही लगाकर ऐसे रास्ते तलाशने की ओर पार्टी बढ़ना चाहती है, ताकि आने वाले चुनाव में वसुंधरा राजे का पार्टी को लाभ मिल सके। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह फैसला लिया जा सकता है कि उनकी चुनाव से पहले टिकटों में भूमिका तय कर दी जाए। इस बात को इसलिए बल मिल रहा है क्योंकि वसुंधरा के अलावा राजस्थान भाजपा में अभी तक कोई दूसरा प्रभावी चेहरा नहीं है, जिसकी पूरे प्रदेश की राजनीति में दखल हो।
सीएम फेस को लेकर खींचतान
पार्टी सूत्रों के अनुसार पिछले दिनों 17 जनवरी को दिल्ली में हुई भाजपा कार्यसमिति की बैठक में पीएम मोदी ने पार्टी नेताओं को अति उत्साह और गुटबाजी से बाहर निकलने की नसीहत दी थी। इसके बाद राजस्थान भाजपा में माहौल थोड़ा बदला हुआ सा नजर आ रहा है। लेकिन असली खींचतान मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर है। वसुंधरा समर्थकों का कहना है कि राजस्थान में बीजेपी में वसुंधरा राजे से बड़ा असरदार चेहरा नहीं है। वसुंधरा राजे ही भीड़ को वोट बैंक में बदलने की क्षमता रखती है। ऐसे में वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जाए। राजस्थान में विधानसभा चुनाव में 11 महीने बचे हैं। लेकिन बीजीपे में गुटबाजी चरम पर है। जेपी नड्डा के जयपुर में हुए कार्यक्रम में कुर्सियां खाली रह गई है। इससे बीजेपी में गुटबाजी के तौर पर देखा गया था।