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...जो बीत गया, उसे भूलकर आगे बढ़ने की जरूरत, गहलोत के पूर्व के बयानों पर पायलट

सचिन पायलट ने कहा कि पार्टी ने जो भी निर्णय लिया है, उससे वह पूरी तरह सहमत हैं क्योंकि अतीत में हुई चीजों के बारे में सोचते रहना उचित नहीं है। टिकट वितरण कुल मिलाकर बहुत निष्पक्ष रहा।

...जो बीत गया, उसे भूलकर आगे बढ़ने की जरूरत, गहलोत के पूर्व के बयानों पर पायलट
Krishna Singhलाइव हिंदुस्तान,जयपुरWed, 15 Nov 2023 01:05 AM
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कोटा उत्तर विधानसभा सीट से कांग्रेस द्वारा अशोक गहलोत के करीबी शांति धारीवाल को मैदान में उतारे जाने के कुछ दिन बाद सचिन पायलट ने कहा कि पार्टी ने जो भी निर्णय लिया है, उससे वह पूरी तरह सहमत हैं क्योंकि बीती बातों के बारे में सोचते रहना उचित नहीं है। टिकट वितरण निष्पक्ष रहा और उम्मीदवारों के जीतने की संभावना का भी ध्यान रखा गया। अब प्राथमिकता पार्टी द्वारा चुने गए सभी उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने के लिए काम करने की है। हम माफ करो, भूल जाओ और आगे बढ़ो के मंत्र के साथ काम कर रहे हैं। 

हमें भूलने और आगे बढ़ने की जरूरत
'निकम्मा' जैसे शब्दों का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा इस्तेमाल किए जाने के बारे में पूछे जाने पर, पायलट ने कहा कि छोड़िए! किसने क्या कहा... मैंने जो कहा है या नहीं कहा है उसके लिए मैं जिम्मेदार हो सकता हूं। हमें राजनीतिक चर्चाओं में गरिमा बनाए रखनी चाहिए। अब हमें आगे बढ़ना है, जो कुछ भी कहा गया उसे भूल जाना चाहिए, हमें भूलने और आगे बढ़ने की जरूरत है। 

पार्टी नेतृत्व तय करेगा कि किसे क्या पद मिलेगा
कांग्रेस ने राज्य में मुख्यमंत्री पद के लिए कोई चेहरा नहीं घोषित किया है। यह पूछे जाने पर कि क्या मौजूदा मुख्यमंत्री होने के नाते गहलोत ने बढ़त बना ली है, पायलट ने कहा- यह कोई दौड़ नहीं है जहां किसी ने बढ़त बना ली है। कांग्रेस ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है। हम एक एकजुट ताकत के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं, पार्टी को बहुमत के आंकड़े तक पहुंचना चाहिए, एक बार, जब ऐसा हो जाएगा, तो चर्चा होगी और जो चुनाव जीतने वाले विधायक अपनी राय देंगे और पार्टी नेतृत्व तय करेगा कि किसे क्या पद मिलेगा। 

निष्पक्ष रहा टिकट वितरण
पायलट ने कहा- टिकट वितरण और कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची की घोषणा के बाद असंतोष के स्वर के बारे में पूछे जाने पर, पायलट ने कहा कि किसी राजनीतिक दल में एक ही सीट के लिए अधिक लोगों का टिकट चाहना अच्छी बात है। आखिरकार, पार्टी केवल एक ही व्यक्ति को टिकट दे सकती है। इसलिए बहुत सारे फीडबैक, सर्वेक्षणों, नेताओं की राय के बाद, हमने जीतने की संभावना पर टिकट दिए। हर किसी को संतुष्ट करना संभव नहीं है। कुल मिलाकर टिकट वितरण बहुत निष्पक्ष रहा है।

युवाओं को मौका दिया गया
पायलट ने कहा- मैं चाहता था कि अधिक युवाओं को चुनाव लड़ने का मौका मिले। इस बार बहुत सारे युवाओं को मौका दिया गया है। मैं व्यक्तियों को (टिकटों के) वितरण मामले में नहीं जाना चाहता। पार्टी को जो भी लगा कि वह जीतने योग्य उम्मीदवार है, उस व्यक्ति को बहुत विचार-विमर्श के बाद टिकट दिया गया। अंतिम निर्णय कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व का है, उन्होंने जो भी फैसला किया है, हमें सुनिश्चित करना होगा कि वे लोग चुनाव जीतें।

पार्टी ने हमारी बातों पर दिया ध्यान
वर्ष 2020 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नीत सरकार के खिलाफ उनके विद्रोह के बारे में पूछे जाने पर पायलट ने कहा कि 2020 में मैंने जो मुद्दे उठाए थे, वे पार्टी और लोगों के लिए महत्वपूर्ण थे। एक समय था जब राजस्थान सरकार में कोई दलित मंत्री नहीं था, आज हमारे पास चार दलित मंत्री, कार्यकर्ता हैं जिन्होंने वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ संघर्ष किया, जेल गए, लाठीचार्ज का सामना किया, उन लोगों को पुरस्कृत किया जाना चाहिए। अब जाकर ऐसा हुआ है। वे अब सरकार में हितधारक बन रहे हैं।

गहलोत के विश्वासपात्र को टिकट नहीं 
कांग्रेस ने पिछले हफ्ते राज्य के संसदीय कार्य मंत्री धारीवाल को कोटा उत्तर सीट से मैदान में उतारा। पार्टी ने हालांकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विश्वासपात्र और राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ को टिकट नहीं दिया। धारीवाल और राठौड़ राज्य के उन तीन वरिष्ठ नेताओं में से थे, जिनके खिलाफ पार्टी की अनुशासन समिति ने नोटिस जारी किया था, क्योंकि वे राज्य में कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं हुए थे और पिछले साल धारीवाल के आवास पर विधायकों की एक समानांतर बैठक हुई थी।

उम्मीदवारों को जिताना, हमारी प्राथमिकता
पार्टी की अनुशासन समिति से नोटिस प्राप्त करने वाले तीसरे नेता महेश जोशी को भी विधानसभा चुनाव के लिए टिकट नहीं दिया गया है। धारीवाल के मुद्दे पर पायलट ने कहा- जहां तक ​​टिकट देने की बात है तो यह पार्टी का फैसला है। सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद लोगों को टिकट देने का फैसला किया है। अतीत में किसने क्या कहा, क्या किया, अगर आप इसी पर ध्यान केंद्रित करते रहेंगे, तो यह चुनाव के समय बहुत सार्थक नहीं है। हमें अपने उम्मीदवारों को जिताना है, यह हमारी प्राथमिकता होना चाहिए।

बगावत से मुख्यमंत्री बनने की संभावना नहीं हुई प्रभावित
कुछ लोगों के इस मत के बारे में पूछे जाने पर कि 2020 में उनकी बगावत के कारण उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना प्रभावित हुई, कांग्रेस नेता ने कहा- मुझे नहीं लगता। अभी हमें कांग्रेस पार्टी की जीत सुनिश्चित करनी है। उन्होंने कहा- किसे कौन सा पद मिलेगा, यह किसी व्यक्ति द्वारा तय नहीं किया जाता। कांग्रेस पार्टी में लंबे समय से चली आ रही परंपरा यह है कि आप चुनाव लड़ते हैं, जनादेश प्राप्त करते हैं, एक बार जब आप बहुमत का आंकड़ा पार कर लेते हैं, तो विधायक और दिल्ली में नेतृत्व द्वारा तय किया जाता है कि किसे क्या जिम्मेदारी मिलेगी। 

पार्टी को जिताना ही प्राथमिकता
पायलट ने कहा- 2018 में, बिलकुल वैसा ही हुआ था जब हमें बहुमत मिला तो मैं पार्टी (प्रदेश इकाई का) अध्यक्ष था। हमने एक पंक्ति का प्रस्ताव पारित किया जिसमें पार्टी अध्यक्ष को यह तय करने के लिए अधिकृत किया गया कि सरकार का नेतृत्व कौन करेगा और मुझे लगता है, इस बार भी कुछ अलग स्थिति नहीं है। सिर्फ राजस्थान में ही नहीं, चुनाव वाले हर राज्य में यही स्थिति है। भविष्य में क्या होगा यह कोई नहीं जानता लेकिन अभी हमारी प्राथमिकता है और होनी चाहिए कि कांग्रेस को मतदाताओं से जनादेश मिले।

हमें जीतने होंगे चुनाव
पायलट ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण था और जो कुछ हुआ उसके लिए मुख्यमंत्री गहलोत ने खुद खेद व्यक्त किया था। खड़गे और राहुल गांधी ने मुझे माफ करने, भूलने और आगे बढ़ने की सलाह दी थी। इसी मंत्र के साथ मैं काम कर रहा हूं और हर किसी को चीजों को इसी तरह से देखना चाहिए। आज भारत कई चुनौतियों का सामना कर रहा है और पूरे भारत में असली विकल्प कांग्रेस है। जब कांग्रेस मजबूत होगी तो 'इंडिया' गठबंधन भी मजबूत होगा। इस देश को एक मजबूत कांग्रेस की जरूरत है। एक मजबूत कांग्रेस बनाने के लिए हमें ये राज्य चुनाव जीतने होंगे। 

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