रिश्वत के मामले RSS के क्षेत्रीय प्रचारक निम्बाराम को राहत, राजस्थान हाईकोर्ट ने FIR रद्द करने के आदेश
राजस्थान हाईकोर्ट ने RSS के क्षेत्रीय प्रचारक निम्बाराम को BVG कंपनी के बकाया 276 करोड़ रु.के भुगतान के बदले 20 करोड़ रिश्वत के मामले में राहत दी है। निंबाराम के खिलाफ एफआईआर रद्द करने के आदेश दिए है।
राजस्थान हाईकोर्ट ने RSS के क्षेत्रीय प्रचारक निम्बाराम को BVG कंपनी के बकाया 276 करोड़ रु.के भुगतान के बदले 20 करोड़ रिश्वत के मामले में राहत दी है। निंबाराम के खिलाफ एफआईआर रद्द करने के आदेश दिए है। ट्राइल कोर्ट में लंबित चल रही कार्यवाही रद्द करने के आदेश दिए है। हाईकोर्ट ने ओमप्रकाश सप्रे और संदीप चौधरी की याचिका को खारिज कर दिया। जस्टिस फरंजद अली की एकलपीठ ने वीसी के जरिए फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने निंबाराम और अन्य की याचिकाओं को निस्तारित करते हुए ये आदेश दिए है। उल्लेखनीय है कि कोर्ट ने 27 फरवरी को लिखित बहस के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। 10 जून 2022 को वायरल वीडियो के आधार पर एसीबी ने मामला दर्ज किया था। मेयर सौम्या गुर्जर के पति राजाराम गुर्जर बीवीजी कंपनी के ओमप्रकाश सप्रे सहित संदीप चौधरी और आरएसएस के क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
बीजेपी ने कांग्रेस पर साधा निशाना
निंबाराम को हाईकोर्ट से राहत मिलने के बाद बीजेपी प्रवक्ता रामलाल शर्मा और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ ने कांग्रेस पर निशाना साधा है। रामलाल शर्मा ने कहा कि जिन व्यक्तियों ने देश और समाज के लिए जीवन समर्पित कर दिया। कांग्रेस ऐसी व्यक्तियों के चरित्र पर ही दाग लगाने की कोशिश कर रही थी। कोर्ट ने दूध का दूध और पानी का पानी किया। सत्य की जीत हुई। उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस के आरोपों में कोई दम नहीं था। बेवजह आरोप लगाए। हाईकोर्ट के आदेश से सत्य की जीत हुई है।
निंबाराम ने हाईकोर्ट से लगाई थी गुहार
बता दें दो साल पहले जयपुर नगर निगम में डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने वाली कंपनी बीवीजी इंडिया के बकाया भुगतान के बदले 20 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने से जुड़े मामले में एसीबी ने आरएसएस के क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। इस एफआईआर और एसीबी की कार्रवाई को रद्द करवाने के लिए निंबाराम ने राजस्थान हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी। निंबाराम की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि प्रकरण में याचिकाकर्ता का नाम राजनीतिक द्वेषता के चलते शामिल किया है। सत्तारूढ़ पार्टी के नेता सार्वजनिक मंच पर उनके खिलाफ बयानबाजी कर प्रस्ताव पारित कर रहे हैं और उनकी गिरफ्तारी के बयान दे रहे हैं।