राजस्थान में इन इलाकों में अवैध रिसोर्ट और फार्म हाउस पर चलेगा बुलडोजर, सरकार की बड़ी तैयारी
राजस्थान सरकार में जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने सोमवार को राज्य विधानसभा में बताया कि रामगढ़ बांध के पूरे बहाव क्षेत्र में ड्रोन के जरिए सर्वेक्षण कराया जाएगा। क्या इसका मकसद...
राजस्थान सरकार रामगढ़ बांध के पूरे बहाव क्षेत्र में अवैध कब्जाधारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई कर रही है। जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने सोमवार को राज्य विधानसभा में बताया कि रामगढ़ बांध के पूरे बहाव क्षेत्र में अवरोधों और अतिक्रमणों का पता लगाने के लिए 'रिमोट सेंसिंग' और ड्रोन के जरिए सर्वेक्षण कराएगी।
जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने बताया कि राजस्थान हाईकोर्ट के निर्देश की अनुपालन में राज्य सरकार द्वारा रामगढ़ बांध के प्रवाह क्षेत्र एवं जलसंग्रहण क्षेत्र में सतत निगरानी एवं पर्यवेक्षण के लिए जयपुर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति गठित की गई है। इस समिति की ओर से बांध के जलसंग्रहण क्षेत्र में अवरोधों एवं अतिक्रमणों की पहचान करने का काम किया जा रहा है।
मंत्री सुरेश सिंह रावत ने कहा कि अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई नियमानुसार सतत रूप से की जा रही है। पूरे बहाव क्षेत्र में अवरोधों और अतिक्रमणों का पता लगाने के लिए रिमोट सेंसिंग और ड्रोन के माध्यम से सर्वेक्षण कराया जाएगा। मंत्री शून्यकाल के दौरान भाजपा कालीचरण सराफ द्वारा रामगढ़ बांध के बहाव क्षेत्र में रसूखदारों द्वारा बनाए रिसोर्ट, फार्म हाउस, पक्के निर्माण आदि के कारण पानी की आवक नहीं होने से उत्पन्न स्थिति के संबंध में ध्यान आकर्षण प्रस्ताव के सवाल का जवाब दे रहे थे।
मंत्री सुरेश सिंह रावत ने बताया कि इस बांध का जल बहाव क्षेत्र राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार 3610.80 हेक्टेयर है, जिसमें से 2679.88 हेक्टेयर राजस्व विभाग के क्षेत्राधिकार में और 930.92 हेक्टेयर जयपुर विकास प्राधिकरण के क्षेत्राधिकार में आता है। इसके अलावा पानी कई स्थानों पर कृषि भूमि से होकर भी बहता है।
रावत ने बताया कि रामगढ़ बांध के बहाव और जलसंग्रहण क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के लिए अब तक कई प्रयास हो चुके हैं। वर्तमान तक 323.30 हेक्टेयर भूमि पर अवरोधों और अतिक्रमणों को चिह्नित कर हटाया जा चुका है। अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई सतत रूप से आगे भी जारी रहेगी। हाईकोर्ट के निर्देशानुसार दो मीटर से अधिक ऊंचाई के एनीकट (बहाव को नियंत्रित करने के लिए बनाए जाने वाले छोटे बांध) को तोड़कर उनकी ऊंचाई दो मीटर तक सीमित कर दी गई है।