राजस्थान की टोंक विधानसभा सीट पर पायलट की परीक्षा, क्या बन रहे समीकरण?
Rajasthan Tonk Assembly Seat: राजस्थान चुनावों में टोंक सीट से चुनाव लड़ रहे सचिन पायलट की तगड़ी परीक्षा है। कांग्रेस पायलट की लोगों में गहरी पैठ के भरोसे जीत की उम्मीद कर रही है।

राजस्थान विधानसभा चुनावों में टोंक विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की तगड़ी परीक्षा होनी है। कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर के नेता के रूप में सचिन पायलट के कद और इलाके के प्रभावशाली समुदायों में उनकी गहरी पैठ के भरोसे जीत की उम्मीद कर रही है। वहीं दूसरी ओर भाजपा ने हिंदुत्व के मसले को मुखरता से उठाया है। भाजपा स्थानीय बनाम बाहरी को भी मुद्दा बना रही है। टोंक से भाजपा उम्मीदवार अजीत सिंह मेहता स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा जोरशोर से उठा रहे हैं।
स्थानीय बनाम बाहरी की लड़ाई
भाजपा उम्मीदवार अजीत सिंह मेहता का दावा है कि सचिन पायलट को इस बार मुख्यमंत्री पद का चेहरा होने का लाभ नहीं मिलेगा जो उन्हें 2018 में मिला था। मैं टोंक का निवासी हूं और लोगों की समस्याओं को जानता हूं। पायलट एक बाहरी हैं। पिछली बार उन्होंने 'मुख्यमंत्री पद का चेहरा' होने का लाभ उठाया था।
क्या कह रहे मतदाता?
वहीं मुख्यमंत्री नहीं बनाने और मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं किये जाने से पायलट समर्थित मतदाता बेफिक्र दिख रहे हैं। टोंक मुख्य बाजार में दर्जी का काम करने वाले मोहम्मद रिजवान अली कहते हैं कि पायलट मुख्यमंत्री बनेंगे। वह भविष्य हैं। इस चुनाव में लोग टोंक की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि पायलट यहां से चुनाव लड़ रहे हैं।
गुर्जरों और हिंदू मतों को एकजुट करने में जुटी भाजपा
भाजपा गुर्जरों के अलावा हिंदू मतों को एकजुट करने के लिए काम कर रहे हैं। भाजपा ने पार्टी सांसद रमेश बिधूड़ी को टोंक में चुनाव की जिम्मेदारी दी है। बिधूड़ी ने हाल में कहा था कि राजस्थान और टोंक के चुनावों पर लाहौर की नजर है। बिधूड़ी ने मेहता की ओर से आयोजित युवा कार्यकर्ताओं की एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा था कि देखना होगा कि 25 तारीख को चुनाव के बाद देश में लड्डू बंटेंगे या लाहौर में... देश के बाहर बैठे दुश्मन की नजर इस चुनाव पर है।
पायलट को जीत पर भरोसा
वहीं पायलट ने अच्छे अंतर के साथ इस सीट से फिर जीतने का विश्वास जताते हुए कहा कि वह पिछली बार की तरह अच्छा जनादेश हासिल करेंगे। मुझे लगता है कि पिछले चुनाव में टोंक की जनता ने मुझे समर्थन दिया है। इन पांच वर्षों में हम वह विकास करने में सफल रहे जो इस क्षेत्र में नहीं हुआ था। इसलिए मुझे पूरा विश्वास है कि कांग्रेस पिछली बार की तरह अच्छा जनादेश हासिल करेगी। हमने जो काम किया है, उससे पता चलता है कि हम सभी को एक साथ लेकर चलने में सफल हो सके हैं।
स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा असरदार
मालूम हो कि टोंक में पायलट ने 2018 में भाजपा के अपने प्रतिद्वंद्वी यूनुस खान को 54 हजार से अधिक मतों के रिकॉर्ड अंतर से हराया था। वहीं भाजपा समर्थकों और मतदाताओं का तर्क है कि पिछली बार उन्होंने भी पार्टी उम्मीदवार खान का समर्थन नहीं किया था, लेकिन इस बार चूंकि एक स्थानीय व्यक्ति चुनाव लड़ रहा है, इसलिए वे उसका समर्थन करेंगे।
बसपा उम्मीदवार ने दिया साथ
टोंक में मुसलमानों और गुर्जरों की एक बड़ी आबादी है। कांग्रेस के कई मुस्लिम बागियों ने पायलट के खिलाफ अपना नामांकन दाखिल किया था, लेकिन बाद में वापस ले लिया। टोंक सीट पर बसपा उम्मीदवार अशोक बैरवा ने भी पायलट का समर्थन किया है। बैरवा ने कहा कि वह पायलट के लिए प्रचार करेंगे।
साफ नहीं चुनावी तस्वीर
शहर के इस बाजार में स्थित एक चाय की दुकान पर चुनावी परिदृश्य पर चर्चा करते हुए संजय दीक्षित नाम के स्थानीय नागरिक ने कहा- पिछली बार बात अलग थी, इस बार एक स्थानीय उम्मीदवार है। भाजपा समर्थक उसका समर्थन कर रहे हैं। उनसे संपर्क करना आसान है जबकि पायलट साहब तक पहुंचने के लिए लंबा रास्ता अपनाना पड़ता है। पेशे से चिकित्सक कैलाश भागवानी का कहना है कि चुनावी तस्वीर साफ नहीं है। पायलट साहब जीत सकते हैं लेकिन कम अंतर से।
