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राजस्थान: जिस 5 स्टार होटल में सीएम कुनबे का डेरा, उस पर अब ईडी की नजर, लिया ये बड़ा एक्शन

राजस्थान में जारी सियासी घमासान अब केंद्र बनाम राज्य के बीच मुकाबला जैसा बन गया है। दरअसल, गहलोत सरकार को गिराने की कथित साजिश को लेकर वायरल हुई फोन रिकॉर्डिंग में एक केंद्रीय मंत्री पर एफआईआर दर्ज...

राजस्थान: जिस 5 स्टार होटल में सीएम कुनबे का डेरा, उस पर अब ईडी की नजर, लिया ये बड़ा एक्शन
एजेंसी,जयपुरThu, 23 Jul 2020 04:47 PM
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राजस्थान में जारी सियासी घमासान अब केंद्र बनाम राज्य के बीच मुकाबला जैसा बन गया है। दरअसल, गहलोत सरकार को गिराने की कथित साजिश को लेकर वायरल हुई फोन रिकॉर्डिंग में एक केंद्रीय मंत्री पर एफआईआर दर्ज होने के बाद केंद्र सरकार हरकत में आ गई है। फोन टेपिंग मामले में पहले गहलोत सरकार से गृह मंत्रालय ने रिपोर्ट तलब की। उसके बाद मुख्यमंत्री के भाई के दो ठिकानों पर दबिश दी। अब जिस पांच सितारा होटल में मुख्यमंत्री और उनके 100 से भी ज़्यादा विधायक ठहरे हुए हैं। उस पर भी ईडी की नज़र बनी हुई है। 

दरअसल, जयपुर के नज़दीक जिस पांच सितारा होटल फेयरमाउंट में गहलोत समर्थित विधायक ठहरे हुए हैं. उसके मालिक को ईडी ने समन जारी किया है। ईडी ने फेयरमाउंट होटल के मालिक रतनकान्त शर्मा को समन जारी कर जवाब-तलब किया है। मामला 97 करोड़ के अवैध फंड से जुड़ा है।

मुख्यमंत्री पुत्र के बिज़नेस पार्टनर हैं रतनकान्त 
इससे भी ख़ास बात ये है कि रतनकान्त शर्मा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत के बेहद करीबी और बिज़नेस पार्टनर भी हैं। इस तरह से वैभव गहलोत पर भी शिकंजा कसता दिखाई दे रहा है। दरअसल, वैभव और रतनकांत शर्मा सन लाइट कार रेंटल सर्विस नाम की कंपनी के डायरेक्टर और बिजनस पार्टनर हैं। शर्मा पर आरोप है कि उन्होंने मॉरिशस से 97 करोड़ रुपए के अवैध फंड लिए हैं। इस संबंध में ईडी ने पूछताछ के लिए पिछले दिनों समन जारी कर शर्मा को तलब किया था। लेकिन बावजूद उसके वे हाज़िर नहीं हुए। अब ईडी ने एक नया समन जारी कर जवाब-तलब किया है। 

 

मुख्यमंत्री के पुत्र वैभव गहलोत के सहयोगी रतनकांत शर्मा फेयर माउंट होटल के मालिक भी हैं। जयपुर के नज़दीक स्थित ये वही पांच सितारा फेयरमाउंट होटल है, जिसमें पिछले एक हफ्ते से भी ज्यादा समय से मुख्यमंत्री ने अपने समर्थित विधायकों और नेताओं के साथ कैम्प किया हुआ है। गौरतलब है कि ईडी ने कल ही मुख्यमंत्री के भाई अग्रसेन गहलोत के दो ठिकानों पर दबिश दी थी। ये कार्रवाई पोटाश की कालाबाजारी करने और कथित रूप से विदेश भेजकर पैसा कमाने के संदेह में की गई। 

ईडी सूत्रों के मुताबिक यह मामला साल 2007 से साल 2009 के बीच का है। जब मनमोहन सिंह की सरकार केंद्र में थी। उस समय अशोक गहलोत के भाई अग्रसेन गहलोत के पास किसानों को बेचे जाने वाली पोटाश खाद बेचने का ठेका था। यह पोटाश खाद किसानों को कम मूल्यों पर मुहैया कराई जाती थी। आरोप है कि तमाम नियम क़ानूनों को ताक पर रखकर अग्रसेन गहलोत ने पोटाश की कालाबाजारी की। 

ईडी का दावा है कि छापों के दौरान अनेक अहम दस्तावेज बरामद हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक इस बात की जांच की जा रही है कि घोटाले से जो पैसा कमाया गया. उस अपराध की रकम को किन संपत्तियों आदि में लगाया गया। साथ में यह पैसा किन-किन खातों में जमा किया गया। सूत्रों का कहना है कि इस बारे में जानकारी मिलने के बाद उन संपत्तियों को जब्त करने की कार्रवाई भी शुरू हो सकती है।

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