निर्भया फंड का पूरा इस्तेमाल करने वाला पहला राज्य बना राजस्थान, केंद्र ने दूसरे राज्यों के लिए बताया रोल मॉडल
राजस्थान सरकार के नाम एक और नयी उपलब्धि जुड़ गयी है। राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जिसने केंद्र सरकार की ओर से जारी किये जाने वाले निर्भया फंड का पूरा उपयोग किया है। राज्य में फोरेंसिक...
राजस्थान सरकार के नाम एक और नयी उपलब्धि जुड़ गयी है। राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जिसने केंद्र सरकार की ओर से जारी किये जाने वाले निर्भया फंड का पूरा उपयोग किया है। राज्य में फोरेंसिक साइंस लैब (एफएसएल) ने निर्भया फंड के तहत मिले 6.28 करोड़ रुपए में से चार नई मशीनें खरीदी है। वहीं, डीएनए एवं साइबर डिविजन में 20 संविदा कर्मियों की सेवाएं ली गई जो कि लगातार डीएनए व सायबर डिवीजन में कार्य कर रहे है, जिससे एफएसएल की पेंडेंसी में कमी न आई और पीडितों को समय पर न्याय मिले।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य में फंड के इस्तेमाल पर खुशी जाहिर करते हुए कहा है कि अन्य राज्यों के अधिकारी भी राजस्थान के एफएसएल को रोल मॉडल अपनाकर फंड का उपयोग करे। एफएसएल डायरेक्टर डा. अजय शर्मा ने बताया कि, हमने फंड के बजट से दो करोड़ रुपए में जीन सिक्वेंसर, चालीस लाख की कीमत के ऑटोमेटिक डीएनए एक्सट्रेक्टर, आठ लाख रुपए में पीसीआर और पांच लाख रुपए में डीप फ्रीजर सहित कई अन्य मशीनें भी खरीदी है।
इन संविदाकर्मियों के काम को देखते हुए एफएसएल ने कॉट्रेक्ट आगे बढ़ाने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा है। कोरोना महामारी में भी यह लैब एक दिन के लिए भी बंद नही हुई। हमने कोरोना प्रोटोकाल के तहत कम स्टाफ के साथ काम चलाया गया। जिसके बदले हमने शनिवार-रविवार को भी काम किया तो पेंडेंसी कम हुई।
एफएसएल डायरेक्टर ने कहा, जो मशीनें हमने अभी खरीदी हैं. हम उनसे ही गई अगले साल जनवरी से जोधपुर में डीएनए जांच लैब शुरु कर देंगे। जोधपुर में पुरानी बिल्डिंग का रेनोवेट करने काम शुरु कर दिया गया है। वहां की लैब के रेनोवेशन के लिए पंद्रह लाख रुपए का बजट पास कर दिया गया है।