चुनावी वादों को भूली पार्टियां, राजस्थान में 5 साल बाद भी हिंदू प्रवासियों के लिए कुछ नहीं बदला
राजस्थान में 2018 के चुनाव से पहले भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने पाकिस्तानी हिंदू प्रवासियों के नागरिकता एवं पुनर्वास के मुद्दों का समाधान करने का वादा किया था जो आज तक नहीं पूरा हुआ है।

राजस्थान में रह रहे पाकिस्तानी हिंदू प्रवासियों को नागरिकता और उनके पुनर्वास जैसे मुद्दों का समाधान करने का राजनीतिक दलों का वादा आज भी अधूरा है। 2018 के पिछले विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन भाजपा सरकार और कांग्रेस ने पाकिस्तानी हिंदू प्रवासियों के नागरिकता एवं पुनर्वास के मुद्दों का समाधान करने का वादा किया था। पांच साल बाद फिर राज्य में विधानसभा चुनाव हो रहा है लेकिन प्रवासियों के लिए कुछ खास नहीं बदला। वे मूलभूत जरूरतों के लिए प्रतिदिन संघर्ष करते हैं। इस रिपोर्ट में कुछ पाकिस्तानी हिंदू प्रवासियों की कहानी..
बेहतर जिंदगी के लिए एक दशक पहले पाकिस्तान से यहां आए गामूराम (40) और उनके परिवार को नागरिकता एवं पुनर्वास के इंतजार में रोज संघर्ष का सामना करना पड़ता है। गामूराम जोधपुर शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर गंगना रोड पर भील बस्ती में अस्थायी मकान में अपने परिवार के साथ रहते हैं। ये लोग उन हजारों पाकिस्तानी हिंदू प्रवासियों का हिस्सा हैं जो बेहतर जीवन की आस में शहर में रह रहे हैं। राज्य में जोधपुर में पाकिस्तान से आए सबसे अधिक प्रवासी हैं।
भारतीय नागरिक नहीं होने के कारण उनके पास वोट डालने का अधिकार नहीं है, लेकिन उन्हें राजनीतिक दलों से बड़ी आशाएं हैं। गामूराम कहते हैं करीब 10 साल पहले पाकिस्तान से भारत आया। पाकिस्तान में कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन हम बेहतर जिंदगी के लिए यहां आ गए थे। हमारे पास भारतीय नागरिकता नहीं है और न ही मकान के लिए स्थायी जमीन है। गामूराम के परिवार में एक दर्जन सदस्य हैं।
गामूराम के दूर के रिश्तेदार तीर्थराम ने कहा- हम भारतीय नागरिकता के लिए मरे नहीं जा रहे हैं लेकिन हम रहने के लिए जमीन चाहते हैं। हम अस्थायी ढांचों में रहते हैं। दस साल में हमारी स्थिति बहुत बिगड़ गई है। हम मुफ्त जमीन नहीं मांग रहे हैं लेकिन यदि सरकार हमें स्थायी मकान देती है तो हम किस्तों में उसके लिए भुगतान करने को तैयार हैं।
खेतों में मजदूरी करने वाले भेराराम ने कहा कि पाकिस्तानी पासपोर्ट खत्म हो गया है और वीजा भी एक महीने में खत्म हो जाएगा जिसके बाद उन्हें नयी दिल्ली में उच्चायोग के चक्कर काटने होंगे। हमारे परिवार में 11 सदस्य हैं। हम करीब पांच साल पहले आए थे। हमने उसी साल पासपोर्ट बनवाया था। इसलिए, पाकिस्तानी पासपोर्ट खत्म हो गया। वीजा एक महीने में खत्म हो जाएगा जिसके लिए हमें दिल्ली के चक्कर काटने होंगे। ग्यारह पासपोर्ट और वीजा का नवीनीकरण महंगा है। यदि सरकार नागरिकता एवं पुनर्वास में हमारी मदद करती है तो यह बहुत बड़ी बात होगी।
साल 2018 के अपने 'जन घोषणापत्र' में कांग्रेस ने नागरिकता एवं पुनर्वास से जुड़ी उनकी समस्याओं का समाधान करने का वादा किया था। कांग्रेस ने घोषणापत्र में कहा था कि प्रवासियों के समग्र विकास के लिए एक पृथक निकाय गठित किया जाएगा। इसने उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार की दिशा में सकारात्मक कदम उठाने का भी वादा किया था। जनवरी, 2020 में जब केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने जोधपुर में पाकिस्तानी प्रवासियों से भेंट की थी तब उन्होंने (प्रवासियों ने) नया संशोधित नागरिकता कानून लाने के लिए सरकार के प्रति आभार प्रकट किया था।
बाद में, एक रैली में में भाजपा नेता शाह ने संशोधित नागरिकता कानून पर अपनी पार्टी के दृढ़ रुख को दोहराया था और दृढ़ता के साथ कहा था कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर एक इंच भी इधर-उधर नहीं होगी। पाकिस्तान से विस्थापित हुए हिंदू प्रवासियों के परिवारों के कल्याण के लिए काम कर रहे सीमांत लोक संगठन के अध्यक्ष हिंदू सिंह सोढा ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही पाकिस्तानी प्रवासियों के मुद्दों का समाधान करने का वादा किया था। भाजपा ने एक पंक्ति में वादा किया था लेकिन कांग्रेस ने थोड़ा अधिक वादा किया था।
हिंदू सिंह सोढा ने कहा कि 2019 से राजस्थान में नागरिकता के 75 प्रतिशत आवेदन लंबित हैं। भाजपा ने अपने शासनकाल के आखिर में 2018 में पाकिस्तानी हिंदू प्रवासियों के लिए विशेष आवास की शुरुआत की थी। अब तक स्थिति यह है कि केवल 'विनोबाभावे नगर' नाम ही दिया गया है, इसके सिवा कुछ नहीं किया गया। अकेले जोधपुर में 18,000 लोग रह रहे हैं जिन्हें अब तक भारतीय नागरिकता नहीं मिली है और वे जिले में तीन-चार इलाकों खासकर गंगना-झांवर रोड पर सूरसागर और मंडोर में बसे हुए हैं। राजस्थान में चोहटन, बाड़मेर, शिव, जैसलमेर, कोलायत, खाजूवाला और श्रीगंगानगर समेत विभिन्न हिस्सों में 30,000 ऐसे लोग रह रहे हैं।
