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हिरणों को चीतों के आगे परोसे जाने का विरोध, बिश्नोई समाज की भावनाएं आहत करने का आरोप; माकपा ने प्रदर्शन का किया ऐलान

उन्होंने कहा कि भारतीय मूल के वन्य जीवों की सुरक्षा का प्रावधान करने की बजाय नामीबिया से चीतों को भारत लाकर वनस्पति के लिए उपयोगी हिरणों को शिकार बनाया जा रहा है। इससे बिश्नोई समाज की भावनाएं आहत हुई।

हिरणों को चीतों के आगे परोसे जाने का विरोध, बिश्नोई समाज की भावनाएं आहत करने का आरोप; माकपा ने प्रदर्शन का किया ऐलान
Nishant Nandanलाइव हिन्दुस्तान,श्रीगंगानगरMon, 19 Sep 2022 02:24 PM

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मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में लाए गए चीते धीरे-धीरे खुद को नये माहौल के मुताबिक ढालने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर करोड़ों रुपये खर्च कर अफ़्रीकी चीतों को भारत लाए जाने और भारतीय मूल के वन्य जीवों चीतल (हिरणों) आदि को चीतों के आगे भोजन के रूप में परोसे जाने का विरोध शुरू हो गया है। माकपा ने इसकी कड़े शब्दों में निंदा की है। राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में माकपा ने इसके विरोध में मंगलवार को अनेक स्थानों पर प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। माकपा के जिला सचिव श्योपतराम मेघवाल ने प्रधानमंत्री मोदी पर जन्मदिन को इवेंट मैनेजमेंट में बदल पार्टी का प्रचार करने, जनभावनाओं को आहत करने और प्रकृति को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भारतीय मूल के वन्य जीवों की सुरक्षा का प्रावधान करने की बजाय नामीबिया से चीतों को भारत लाकर वनस्पति के लिए उपयोगी हिरणों को शिकार बनाया जा रहा है। उनका कहना है कि यह बिश्नोई समाज एवं वन्यजीव प्रेमियों की भावनाएं आहत करने वाला तथा प्रकृति को नुकसान पहुंचाने वाला फैसला है।

उन्होंने कहा कि मोदी जन्मदिन पर युवाओं के लिए रोजगार का तोहफा भी दे सकते थे लेकिन उन्हें हमेशा की तरह इवेंट मैनेज करने के सिवा कुछ नहीं करना होता। श्योपत मेघवाल ने कहा कि हथनी की मौत पर मातम मनाने वाले देश में सैकड़ों हिरणों के शिकार को सहन कैसे किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि गायों में व्याप्त लंपी को महामारी घोषित कर गायों के ईलाज के लिए विशेष पैकेज का ऐलान किया जाना मोदी के जन्मदिन को शोभाजनक बना सकता था। ऐसा नहीं करके मोदी सरकार को अफ़्रीकी चीतों की चिंता है,जो बेहद निंदाजनक है। मार्क्सवादी पार्टी ने इसकी कड़े शब्दों में निंदा की है। इसके विरोध में कल पूरे जिले भर के तहसील मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन कर राष्ट्रपति महोदय को ज्ञापन सौंपा जाएगा।

हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में आए कुलदीप बिश्नोई ने भी इसपर अपनी प्रतिक्रिया दी है। कुलदीप बिश्नोई ने सोमवार को ट्वीट किया, ''चीतों के भोजन हेतु चीतल व हिरण भेजने की सूचनाएं आ रही हैं, जो अति निंदनीय है। मेरा केंद्र सरकार से अनुरोध है कि राजस्थान में विलुप्त होने की कगार पर पहुंचे हिरणों की प्रजाति और बिश्नोई समाज की भावनाओं को देखते हुए इस मामले की जांच करवाई जाए और अगर ऐसा है तो तुरंत इस पर रोक लगाई जाए।''

बिश्नोई समाज के लोग काले हिरण (कृष्ण मृग) को पारंपरिक व धार्मिक रूप से पवित्र मानते हैं। बिश्नोई समाज जोधपुर के पास पश्चिमी थार रेगिस्तान से आता है और इसे प्रकृति के प्रति प्रेम के लिए जाना जाता है। बिश्नोई समाज में जानवर को भगवान तुल्य मान जाता है और इसके लिए वह अपनी जान देने के लिए भी तैयार रहते हैं। इस समाज के कई लोगों ने जानवरों के लिए अपनी जान तक गंवाई है। बताया जाता है कि बिश्नोई (20)और नोई (9) से मिल कर बना है। यह समाज कुल 29 नियमों का पालन करता है। एक नियम में शाकाहारी रहना और हरे पेड़ ना काटना भी शामिल है। कुछ समय पहले राजस्थान में एक महिला की तस्वीर वायरल हुई थी। यह महिला एक हिरण को अपना दूध पिला रही थी। बिश्नोई समाज में हिरणों की पूजा होती है। इस समाज के लोगों की पहचान हिरणों के रक्षक के तौर पर है।

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