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वसुंधरा राजे के बाद राजस्थान में नंबर दो पर कोई नेता टिक क्यों नहीं पाता, इनसाइड स्टोरी

राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 के अंत में है। बीजेपी में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर सियासी खींचतारी जारी है। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बाद नंबर दो के लिए पार्टी नेताओं में खींचतान जारी है।

वसुंधरा राजे के बाद राजस्थान में नंबर दो पर कोई नेता टिक क्यों नहीं पाता, इनसाइड स्टोरी
Prem Meenaलाइव हिंदुस्तान,जयपुरWed, 22 Mar 2023 12:47 PM
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राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 के अंत में है। बीजेपी में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर सियासी खींचतारी जारी है। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बाद नंबर दो के लिए पार्टी नेताओं में खींचतान जारी है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवालस किरोड़ी लाल मीना और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ के बीच नंबर दो के लिए खींचतान है। नेता प्रतिपतक्ष गुलाब चंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाए जाने के बाद नेता प्रतिपक्ष का किसी की नियुक्ति नहीं हुई है। पार्टी के वरिष्ठ नेता एकजुट नहीं है। वसुंधरा राजे कैंप के नेता उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ का विरोध कर रहे हैं। अंदरुनी खींचतान की वजह से नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति नहीं हो पाई है। y

मुख्यमंत्री फेस बनने के लिए भाजपा में दावेदारी बढ़ी

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जैसे-जैसे मुख्यमंत्री फेस बनने के लिए भाजपा में दावेदारी बढ़ते जा रही है। खींचतान बढ़ती जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ ही कई ऐसे नाम हैं, जो अपने-अपने तरीके से खुद को इस रेस में मान रहे हैं। हालांकि, इनमें वसुंधर राजे के सामने मजबूत चेहरा नहीं है। बता दें,  राजस्थान विधानसभा का कार्यकाल 14 जनवरी 2024 को खत्म हो रहा है। ऐसे में यहां मध्य प्रदेश के साथ नवंबर-दिसंबर में चुनाव हो सकता है। राजस्थान में 200 विधानसभा सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़ा 101 सीट का है।

राजस्थान में हर पांच साल बाद सत्ता बदलती रही है

राजस्थान में पिछले 6 चुनाव से भाजपा और कांग्रेस बारी-बारी से सत्ता में आती है. ये सिलसिला 1993 से जारी है। 1993 से यहां कोई भी पार्टी लगातार दो बार चुनाव नहीं जीत सकी है। परंपरा कायम रहने के हिसाब से देखें, तो सत्ता की दावेदारी भाजपा की बन रही है। लेकिन राज्य में पार्टी की सबसे वरिष्ठ और कद्दावर नेता वसुंधरा राजे के रुख से भाजपा की चिंता बढ़ गई है। वसुंधरा राजे के धुर विरोधी सतीश पूनिया ने पीएम मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ने की बात कहकर वसुंधरा राजे के समर्थकों को नाराज कर दिया है। यहीं वजह मानी जा रही है कि वसुंधरा राजे ने अपने जन्मदिन पर शक्ति प्रदर्शन कर सियासी विरोधियों को साफ संदेश दे दिया है कि उनकी अनदेखी से बीजेपी सत्ता में नहीं आएगी । 

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